स्वामी कादंबरी – Swami Book/Pustak PDF Free Download

प्रस्तुत उपन्यास श्रीमंत मधावराव पेशवा के जीवन पर लिखा गया है, इसमें मंत्री, सेनापति, सचिव, न्यायाधीश जैसे महाराज छत्रपति शिवाजी द्वारा बनाये पदों का उल्लेख है ।
सारा दरवार इस अनपेक्षित घटना से आश्चर्यचकित हो गया था.। क्रोध से उन्मत्त बने हुए रापोवा के विशाल शरीर की बोर सारा दरवार एकटक देख रहा था। माधवराव ने चौंककर रापोवा दादा की बोर देखा ।
सखाराम बापू जैसे-तैसे बोले,”दिनकरराव, तुम अर्जी वापस ले लो। दफ्तर के नियमों के अपवाद होते हैं । विश्वास और मनुष्य देखकर इन नियमों का पालन किया जाता है।” दिनकरराव खड़ा-खड़ा कांप रहा था।
“बापू !” माधवराव गहनद से उठते हुए बोले, “यह पेशवाओं की मसनदं है, इस बात को भुला मत दीजिए । यदि कोई उसका अपमान करने का साहस करेगा, तो फिर अवस्था का, मान का या अधिकार का लिहाज हम नहीं रख सेंगे !
दिनकरराव, तुम जो कहते हो वह ठौक परन्तु नियमों के जो अपवाद होते हैं वे क्वचित् होते हैं, इसलिए आज तक जवाहरखाने का जो अनुशासन चलता बाया है, उसको ऐसे ही चलाते रहो। स्वयं पेशवा भी इन नियमों के अपवाद नहीं होंगे।
इस आदेश का पालन नाज से हो जारी कर दीजिए!” देखते-देखते माधवराव उठे और दरवार को समझ में बाये उससे पहले ही चल दिये । बेत्रधारी, चोबदार पीछे-पीछे दौड़े। जबतक दरबार खड़ा हो पाया तबतक माधवराव जा चूफे थे ! सारे दरबार में कानाफूसी शुरू हो गयो।
उनके फूलों में जड़े हुए नग चमक रहे थे। नाक में नय चमचमा रहीं पी। सावधान होकर माधवराव ने आगे बढ़ाया हुआ दौड़ा हाथ में लिया। बारती हुई।
“परन्तु आरती किस लिए उतारी गयी है यह समझ में नहीं जाया” माधवराव ने हँसकर पूछा।
“माधव, बाज का दिन हो वैसा है । पेशवाओं को गद्दी पर बैठे महीनों बीत गये, फिर भी वास्तविक अर्थों में सच्ची आरतो बाज ही उतारी गयी है ।”
लेखक | रणजित देसाई – Ranjit Desai |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 424 |
PDF साइज़ | 11 MB |
Category | उपन्यास(Novel) |
स्वामी उपन्यास – Swami Book/Pustak PDF Free Download