सूरदास और नरसिंह मेहता तुलना | Surdas Or Narsingh Mehta Comparison PDF

सूरदास विरुद्ध नरसिंह मेहता – Surdas Vs Narsingh Mehta Pdf Free Download

सूरदास और नरसिंह मेहता कृतियां

चतुथ अध्याय म अत्यन्त मतपत्ता तथा प्राधारभूत प्रथा नी सहायता से दाना कविया की दार्शनिक विचारधारा पर भनुणीलन दिया गया है। सूर एय नग्ती म्नत मव्तववि थ दारनिव नही ।

दाशनिक सिद्धान्ता का विषपान उरके राज्य का प्रतिपाय नही बा उत्ञान जो तिवा यह भगवदमक्ति में निमग्न हो कर ही गिर भी दोना क ग्रथा के अनुशीलन

जगत माया तथा भक्ति ने सवध में बहुत कुछ जाना जा सकता है। इस पाध्याय दे प्रारभ म दोना बलिया की विचारधारा किस संप्रदाय से गयद या सनिवट इस पर गयी है।

इसने पश्चात दोना वे पह, जीव जगन, मावा भाकि सबध में ज्यक्त किये सय सिदान्ता, विचारा एवं धारणा की विवचना एव तुनना पागई। मर भाचाय पल्लभ केशुशान्त सम्मान है।

यद्यपि नरगी मानाय पभ ये पूरती प और वे जिरभी भी मत्रदाय ग रबद्ध भी नही थ तथापि उनके न नि विचार गुद्धाहत से हा सत्रढ है पदम प्रध्याय सूर एव नरसो के राय भक्तिपक्ष में सम्बदर।

इस अध्याय में भक्ति मुल, उमरी प्राचीनता वणव भक्ति के उभव, विकास एन प्रभार पर मक्षेप मरिनारबस दाना करिया को गाधना एक माध्यरूपा प्रेम भक्ति पर विचार किया गया है।

माध्यस्पा भमि के दास्यया पात्राय मधुर वार प्रमु भाव माने गये हैं। इनमें व सूर प्रमुपस्या गम्भाद पे भान य एज गारगी मधुर भाष के । दाना में दास्य मति ने भान मार में उपाय शनि है।

दाता रानिया ममस्ति गावगपादित सभी प्रकार मिल डात हे मोर इमन’ साथ ही सामायन प्रभाव और मौलिकता का पुट भी दाना को भक्ति में पध मा न मिला है ।

लेखकभ्रमर लाल जोशी-Bhramar Lal Joshi
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ348
Pdf साइज़10.3 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

सूरदास और नरसिंह मेहता तुलनात्मक अध्ययन – Surdas Aur Narsingh Mehta Pdf Free Download

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