शनि स्तोत्र दशरथ कृत – Dashrath Shani Stotra Book/Pustak PDF Free Download

Shani Stotra Lyrics In Hindi & English
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
शनि स्तोत्र के लाभ व महत्व
- दशरथ उवाच शनि देव स्तुति का पाठ करने से शनि देव का क्रोध शान्त होता है।
- शनि की साढ़ेसाती व ढैया के कारण होने वाली समस्याओं के निदान हेतु आपको इस दिव्य स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- यदि कोई पुराना रोग आपको बहुत लम्बे समय से पीड़ित कर रहा है तो निश्चित ही आपको इस स्तोत्र का पाठ करने से उस रोग से मुक्ति मिलेगी।
- यदि आपके ऊपर शनि देव की कुदृष्टि है तो आप भी प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ सकते हैं।
- किसी आवश्यक यात्रा पर जाने से पहले पूर्ण विधि-विधान से दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से यात्रा सफल व फलदायक सिद्ध होती है।
- दशरथ वास शनिदेव स्तुति के प्रभाव से शत्रुओं का सर्वनाश होता है।
- दशरथ कृत शनि स्तोत्र अत्यधिक प्रभावशाली है तथा इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
- मकर व कुम्भ राशि के जातकों को इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में समस्त प्रकार के सुखों को प्राप्त कर सकते हैं।
शनि स्तोत्र पाठ विधि हिंदी/संस्कृत
- प्रतिदिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी है किन्तु यदि आप प्रतिदिन यह पाठ करने में असमर्थ हैं तो प्रत्येक शनिवार को इसका पाठ करने से आप शनि देव की विशेष कृपा व आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
- सर्वप्रथम स्नान आदि दैनिक कार्य समाप्त करके एक आसन पर पद्मासन में बैठ जाएँ।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर काला कपड़ा बिछा कर उस पर शनि देव की एक प्रतिमा अथवा छायाचित्र को स्थापित करें।
- तदोपरान्त मानसिक ध्यान करते हुए शनि देव का आवाहन करें।
- अब शनिदेव को आसन ग्रहण करवाएं।
- आसन ग्रहण करवाने के पश्चात सरसों के तेल का एक चौमुखी (चारमुखी) दीपक शनिदेव के समक्ष प्रज्जवलित करें।
- तत्पश्चात दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पूर्ण भक्ति-भाव से पाठ करें।
- पाठ सम्पूर्ण होने के उपरान्त शनि बीज मन्त्र “ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का यथाशक्ति जप करें।
- अब शुद्ध सरसों के तेल के दीपक से शनिदेव की आरती करें तथा अपने व परिवार की कुशलता हेतु कामना करें।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी, English |
कुल पृष्ठ | 5 |
PDF साइज़ | 46.8 KB |
Category | Religious |
Dashrath Krit Hand Written Shani Stotra
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