सत्य नारायणाच्या पोथीतील कथा – Satya Narayaṇacya Pothitila Katha Book/Pustak PDF Free Download

बच्चे की चिता की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही यह बात स्थापित हो जायेगी। दूसरी कटम भी उठाया जा सकता है।
वह यह कि-अब जिससे संभोग करते ही, उससे ही बच्या पैदा हो, तुम्हारे ही संभोग में ब्रा पैदा हो, यही अवैज्ञानिक है। और अच्छी व्यवस्था की जा सकती है.और वीर्य-कण उपलब्ध किया जा सकता है।
वैज्ञानिक व्यवस्था की जा सकती है। और तुम्हें वीर्य कण मिल सकता है। चूंकि अब तक हम उसको सुरक्षित नहीं रख सकते थे। अब तो उसको सुरक्षित रखा जा सकता है।
अब जल्ली नहीं कि आप जिंदा हो.तभी आपका बेटा पैदा हो। आपके मरने के 50 साल बाद भी आपका बेटा पैदा हो सकता है।
इसलिए यह जल्दी करने की जरूरत नहीं है कि मेरा बेटा मेरे जिंदा रहने में ही पै हो आये। वह बाद में 10 हजार साल द भी पैदा हो सकता है। अगर मनुष्यों ने समझा कि आपका बेटा पैदा करना जरूरी है। तो यह आपके लिए सुरा कर सकता है।
आपका बया कभी दा हो सक्ता है। अब बाप और बेटे कर अनिवार्य सबंध उस हालत में नहीं रह जायेगा। जिस हालत में अब तक था.वह टूट जायेगा। कीर्ति हो रही है।
जिन इस देश में हमारे पास समझ बहुत कम है। अभी तो हम संतति नियमन को ही नहीं समझ पा रहे है।
यह पहला कदम है. यहा सेक्स मालिटी के संबंध में पहला कम है।
एक दफा सेक्स पुरानी आदत पुरानी नीति टूट जाये तो इतनी आति होगी कि जिसका हिसान लगाना मुश्किल है। क्योकि हम पता भी नहीं कि जो भी हमारी नीति ।
वह की परी फोन स्था मे सबधित है। चीन व्यवस्था पूरी तरह टूट आये तो पूरी नीति बाटस जाती है।
लेखक | प्रभाकर नानावटी – Prabhakar Nanawati हरि मोहन झा – Hari Mohan Jha |
भाषा | मराठी |
कुल पृष्ठ | 7 |
Pdf साइज़ | 72 KB |
Category | धार्मिक(Religious) |
सत्य नारायणाच्या पोथीतील कथा – Satya Narayaṇacya Pothitila Katha Book/Pustak Pdf Free Download