सारस्वत कुंडलिनी महायोग – Saraswat Kundalini Mahayoga Shaktipatha Shastra Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
कालान्तर में पुनः जब श्री गुरुदेव का बार बार आदेश हुआ तो फिर जागृति आई, फिर डायरी से और कुछ टाइप से भी वीरेन्द्र कुमार शर्मा (दत्तक) से पुनः टाइप करवा कर कापो तैयार हुई और उसे लेकर मैं ग्रीष्मावकाश में श्रीगुरुदेव के आश्रम चित्तौड़ (जूनागढ़), सौराष्ट्र गया।
श्री गुरुदेव ने उसे पुनः सुना, बार बार आदेश दिया कि इस शास्त्र का प्रकाशन होना अत्यन्त आवश्यक है। श्री ५. गोपीनाथ कविराज जी ने इस शास्त्र को स्वयं पढ़ा और लिखा कि इसके प्रकाशन को ध व्यवस्था होनी चाहिये।
इस प्रकार जय में फिर लौट कर लखनऊ आया तो श्री गुरुदेव का आदेश विद्यासागर जी को सुनाया और कहा भी कि श्री गुरुदेव आगामी नवम्बर में इस शास्त्र को लेने आयेगे, क्योंकि वे बम्बई से इसके प्रकाशन की व्यवस्था कर रहे है पर यह व्यवस्था न हो सकी।
मेरे गुरुभाई श्री जोशी जी पुनः इसके अनुवाद कार्य में जुट गये। शास्त्र जिस रुप में आप लोगों के समक्ष प्रकाशित होकर आ रहा है, उसका अनुवाद एवं संशोधन भाई श्री विद्यासागर जी. ने ही किया। इसके लिये में विशेषकर उनका आभारी हैं।
याम्तव में उनका अमूल्य समय और स्वास्थ्य इस शास्त्र के सम्पादन में कुछ बिगड़े अवश्य है. फिर श्री गुरुदेय के आदेश-कृपा और सागर जी के अथक परिश्रम एवं प्रेम के फलस्वपशास्त्र प्रकाशित रुप मे आ ही गया।
यह शास्त्र साक्षात् भगवती सरस्वती का दिया हुआ है। साधनकाल में स्यपं प्रादुभु हुआ है, इसलिये इसका नाम भी सारस्वत कुण्डलिनी महायोगी रखा गया, क्योकि समस्त शास्त्र पाक्तिपात से सम्बन्धित है अतः पूरा नाम ‘मगारस्वत कुण्डलिनी माग्योग वाकियात शास्त्र) रखा गया, इस मेसी माना गोरखनाथ की भी है। माँ सरस्वती सरस्कृत रूप में और मा
लेखक | जितेंद्र चंद्र-Jitendra Chandr |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 284 |
Pdf साइज़ | 36.8 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
सारस्वत कुंडलिनी महायोग – Saraswat Kundalini Mahayoga Shaktipatha Shastra Book/Pustak Pdf Free Download