संगीत राग परिचय- Sangeet Raag Parichaya Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
प्रश्नोत्तर के रूप में लिया है। संगीन शास्त्र के मुप्रसिद्ध आचार्य ० विष्णु दिगम्बर जी पुलस्कर तथा श्री विष्णु नारायण भासखण्डे आदि महानुभावों ने भी प्रारम्भिक छात्रोपयोगी अपनी रचनाओं में इसी शैली को अपनाया है।
प्रश्नोत्तर की यह शैली सरलता के साथ हो सुबोध और सर्वप्रिय भी है। ‘संगात-परिचय’ के तृतीय भाग की लेखन-शैली को प्रश्नोत्तर का रूप न देकर वर्णनात्मक ही रखा है परन्तु बहु भी सरत और सुबोध है।
स्वर-लिपि मंगोत-परि चय’ के तीनों भागों की स्वर लिपि श्री भान खरडे जी के मतानुसार की गई है क्योंकि संगीत की उच्च श्रेणियों में भी इसी शैली को प्रमाणिक माना गया है ।
यद्यपि संगीत का ज्ञान एक अच्छे शिक्षक के बिना प्राप्त करना कठिन है, फिर भी आशा है कि ये पुस्तकें संगीन के प्रारम्भिक ज्ञान को प्राप्त करने कराने में पूर्णतया सहायक होंगी ।
संगीत ज्ञाताओं से मेरा दिशेष अनुरोध है कि वे इन पुस्तकों की जिस टि को अनुभव करें, मुझे अ श्च हो उनसे अवगन कराने की कृपा करें ।
इसके लिए लेखक उनका बहुत आभारी होगा और आगामी संस्करण में उन बटियों का यथोचिन परिमार्जन कर दिया जायेगा। मैं भी जीवनलाल जी म म्यूजिक सुपरवाइजर आल इंडिया रेडियो, न्यू दहाली का विशेष रूप से यामारी इतिहोंने ‘संगीत-परिचय देख कर कुछ उपयोगी सुतार दिए है।
साथ ही इसकी प्रस्तावना लिखने का रूट किया है । प्राज्ञ में पनीम वर्ष पूर्व जय मैंन मंगीत-शिक्षण का कार्य प्रारम्भ किया था, नय से लेकर प्रथ तक नगातार लड़के- नदियों के विभिन्न स्कूलों,
कान्दिा नया ‘पन्य संस्थानों में सूर्य परने हथे औ जो दुनिया में रे मन शानी रही है,उनमें मेक गुन्य पठिनाः गाभी हिमगीन का मी पुग्नकों का गया ‘प्रभाय या, जिन के द्वारा गंगान में प्रवेश करने वाले मा वायु के दवावनदाओं को सीतशास सम्बन्धी प्रारम्भिक नम चश्गक दरान न्दिवा
लेखक | रामावतार-Ramavatar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 70 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
संगीत परिचय – Sangeet Parichaya Book/Pustak Pdf Free Download