सम्भोग से समाधि की ओर | Sambhog Se Samadhi Ki Tak PDF In Hindi

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सम्भोग से समाधि की ओर – Sambhog Se Samadhi Tak PDF Free Download

प्रेम क्या है?

जीना और जानना तो आसान है, लेकिन कहना बहुत कठिन है। जैसे कोई मछली से पूछे कि सागर क्या है? तो मछली कह सकती है यह है सागर, यह रहा चारों और वही है। लेकिन कोई पूछे कि कहो क्या है, बताओ मत, तो बहुत कठिन हो जायेगा मछली को।

आदमी के जीवन में जो भी श्रेष्ठ है, सुन्दर है, और सत्य है, उसे जिया जा सकता है, जाना जा सकता है। हुआ जा सकता है। लेकिन कहना बहुत कठिन बहुत मुश्किल है।

और दुर्घटना और दुर्भाग्य यह है कि जिसमें जिया जाना चाहिए, जिसमें हुआ जाना चाहिए, उसके संबंध में मनुष्य जाति पाँच छह हजार साल से केवल बातें कर रही है।

प्रेम की बात चल रही हैं, प्रेम के गीत गाये जा रहे हैं। प्रेम के भजन गाये जा रहे है और प्रेम मनुष्य के जीवन में कोई स्थान नहीं है।

अगर आदमी के भीतर खोजने जाये तो प्रेम से ज्यादा असत्य शब्द दूसरा नहीं मिलेगा। और जिन लोगों ने प्रेम को असत्य सिदध कर दिया है और जिन्होंने प्रेम की समस्त धाराओं को अवरुद्ध कर दिया है और बड़ा दुर्भाग्य यह है कि लोग समझते हैं कि वे ही प्रेम के जन्मदाता है।

धर्म-प्रेम की बातें करता है, लेकिन आज तक जिस प्रकार का धर्म मनुष्य जाति के ऊपर दुर्भाग्य की भांति छाया हुआ है। उस धर्म ने मनुष्य के जीवन से प्रेम के सारे द्वार बंद कर दिये है। और न उस संबंध में पूरब और पश्चिम में फर्क है न हिन्दुस्तान और न अमरीका में कोई फर्क है।

मनुष्य के जीवन में प्रेम की धारा प्रकट ही पायी और नहीं हो पायी तो हम दोष देते हैं कि मनुष्य ही बुरा है, इसलिए नहीं प्रकट हो पाया। हम दोष देते है कि यह मन ही जहर है, इसलिए प्रकट नहीं हो पायी। मन जहर नहीं है। और जो लोग मन को जहर कहते रहे हैं, उन्होंने ही प्रेम को जहरीला कर दिया, प्रेम को प्रकट नहीं होने दिया है।

मन जहर हो कैसे सकता है? इस जगत में कुछ भी जहर नहीं है। परमात्मा के इस सारे उपक्रम में कुछ भी विष नहीं हैं, सब अमृत है। लेकिन आदमी ने सारे अमृत को जहर कर लिया है और इस जहर करने में शिक्षक, साधु, संत और तथाकथित धार्मिक लोगों का सबसे ज्यादा हाथ है।

इस बात को थोड़ा समझ लेना जरूरी है। क्योंकि अगर यह बात दिखाई न पड़े तो मनुष्य के जीवन में कभी भी प्रेम…भविष्य में भी नहीं हो सकेगा। क्योंकि जिन कारणों से प्रेम नहीं पैदा हो सका है, उन्ही कारणों को हम प्रेम प्रकट करने के आधार और कारण बना रहे है।

हालतें ऐसी है कि गलत सिद्धांतों को अगर हजार वर्षों तक दोहराया जाये तो फिर यह भूल ही जाते हैं कि सिद्धांत गलत है। और दिखाई पड़ने लगता है कि आदमी गलत है। क्योंकि वह उन सिद्धांतों को पूरा नहीं कर पा रहा है।


मनुष्य का कहिय उमर को अगर देवली को कोई आये या क से मंगल से कभी कोई आये और हमारी ट, देे ही पढ हमारे वि देते तो बहन है हो जान अगायब मानकर कि आदमी म सारा साहित्य सेक्स पर केत है। की है।

की सारी कहानिया, सो उपन्यास मेमोरी aunty रनर के ऊपर मनी औरत की तस्वीर भयो। आदमीर शिमग आमटि है। है है होगा। अगर कोई गूगल अगर हमें इस हाल में देखेंगाजी मार हैरान होगा।

खंभे से टकरा जाता है. पत्थर से टकरा जाता है। इतना बड़ा रास्ता था कि अगर कोई निशानेबाज ही चलाने की कोशिश करता तो उस प्थर से टकरा सकता था।

लेकिन यह सिक्के आदमी कैसे उस पत्थर से टकरा गया। कुये कहता है कि हमारी चेतना का एक नियम है लॉ ऑफ रियर्स एपेक्ट,हम जिस चीज से बचना चाहते है, पेलना उसी पर कैद हो जाती है।

परिणाम में हम उसी से टकरा जाते है। पॉप हजार साल से आदमी सेक्स से बचना चाह रहा है। और परिणाम इतना हुआ की गली कृपे हर जगह जहाँ भी आदमी जाता है वही सेक्स से टक्सा जाता है।

लॉ ऑफ रिवर्स एक्ट मनुष्य की आत्मा को पकड़े हुए है। क्या कभी आपने यह सोचा है कि आप चित को जहां से बचाना चाहते है, चित् उहीं आकर्षित हो जाता है।

वहीं नियंत्रित हो जात है। जिन लोगों ने जय को जोक्स के विरोध में स्मझाया, उन लोगो ने ही मनुष्य को कामुक बनाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया है।

मनुष्य की अति प्रामुक्ला गलत सि का परिणाम है। और आज भी हम भयभीत होते है कि सेक्स की बाल न की जाये। क्यो मगमोत होते है।

अयभीत इसलिए होते है कि हमे डर कि सेक्स के संबंध में बात करने से लोग और कामुक हो जायेंगे। में आपको कान्त पाहता कि यह बिलकुल ही मलत अम है।

यह ल-प्रतिशल है। पृथ्वी उसी दिन सेक्स से मुक्त होगी, जब हम सेक्स के संध में सामान्य स्वास्थ कतचीत ने में समर्थ जायेंगे। पूरी तरह से म के तो ही स का अतिक्रमण कर सकेगे।

मे ह ता है। लनिग के कमर में पूरी के 3 के पूरा आ रही हो सकता वाले सलेहो क भारत में समाप्त हो गया है। सिंपल से गरमा काटता है।

लेखक आचार्य श्री रजनीश ( ओशो ) – Acharya Shri Rajneesh (OSHO)
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 438
Pdf साइज़3 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

सम्भोग से समाधि तक – Sambhog Se Samadhi Ki Or Book/Pustak Pdf Free Download

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