समर्थ गुरु रामदास – Samarth Guru Ramdas Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
बना दिया और आप पटवारी और पुरोहिती वृत्ति से अपना निर्वाह करने लगे। इस गाँव का नाम बशरथ पंत में जांय रक्खा । कुछ समय पश्चात जांव के आस पास १२ गांव और बस गये।
इनमें भी पटवारी और पुरोहित का कार्य दश- रथ पंत ही करने लगे। दशरथ पंत जी शाके ११० सर्वधारी नामक संवत्सर में जांच में जाकर रहे थे। आप के छः पुत्र हुये।
बड़े पुत्र का नाम रामाजी पंत था । रामाजी पंत को इनके पिता ने जाँब और आसन गाँव नामक दो ग्राम दिये थे। यह तीन पुरुष अर्थात कृष्णा जी पंत, दशरथ पत, और रामाजी पंत समर्थ
स्वामी रामदास जी के वंश की पहली तीन पीढ़ियों के क्रमशः मूल पुरुष थे । रामाजी पंत के पश्चात् बहुधा एक २ पुत्र होता गया और कृष्णा जी पंत की २२वीं पीढ़ी में सूर्या जी पंत का जन्म हुआ।
बड़े होने पर सूर्याजी पंत के पिता अम्बक पंत ने इनका विवाह एक रुबाई नाम्नी सुशीला और सुकुलोत्पन्ना कन्या से कर दिया। यही स्वनामधन्य सूर्याजी पंत और राणुबाई, रामदास जी के पिता और माता है।
सज्जनों । धन्य है पेसे पुरुष जिनके घर में भारतवर्ष के उद्धार का जन्म लेते हैं। सूर्याजी पंत सूर्योपासक और बड़े ही परोपकारी एवं दयालु प्रकृति के मनुष्य थे।
परमात्मा की कृपा से रांगुवाई गर्भवती हुई और शाके २५२७ विश्वावसु नामक सम्यन्सर में मागशीर्ष शु० १२ को के गुरुवार दिवस आप ने एक पुर प्रसव किया ।
इस बालक का नाम गङ्गाह पंत आगे चल कर श्रेष्ठ और रामी रामदास के नाम से प्रारे. हुये । रामाजी पंत के पश्चात् बहुधा एक २ पुत्र होता गया और कृष्णा जी पंत की पीढ़ी में सूर्या जी पंत का जन्म हुआ।
लेखक | पंडित व्रजमोहन-Pandit Vrajmohan |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 114 |
Pdf साइज़ | 13 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
समर्थ गुरु रामदास – Samarth Guru Ramdas Book Pdf Free Download