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रंगीला रसूल – Rangeela Rasool Hindi Book PDF Free Download
हजरत मोहम्मद का जीवन परिचय
प्रस्तावना प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हज़रत मौहम्मद साहब के जीवन को पच्चीस वर्ष के बाद से आरम्भ किया है, उससे पहले का कोई वर्णन नहीं दिया गया, अतः पाठकों की जानकारी के लिए संक्षेप में जन्म से पच्चीस वर्ष तक के जीवन से परिचित कराना मैं अपना पावन कर्त्तव्य समझता हूँ :-
हज़रत मौहम्मद के पिता का नाम अब्दुल्लाह था, जो अब्दुल मुत्तालिब के बेटे थे, आप कुरेश खानदान से ताल्लुक रखते थे, जो अरब का एक प्रमुख वंश था तथा तमाम वंशजों में अपना प्रमुख स्थान रखता था, आपका जन्म १२ रबडल, दिन सोमवार (११ नवम्बर) सन् ५६९ ई० को मक्के हुआ आपके वालिद (पिता) अब्दुल्लाह आपके जन्म से पूर्व ही परलोक सिधार गये थे
अतः आपका आरम्भिक पालन पोषण आपके दादा अब्दुल मुत्तालिब द्वारा हुआ, उनके मरने के बाद (तब आपकी उम्र मात्र आठ वर्ष की थी) आपके चचा हजरत अबू तालिब ने आपकी देखभाल की। आपकी माता हजरत अमीना ने अपना दूध पिला कर बड़ा किया परन्तु वहां के रिवाज के अनुसार कुछ समय के लिए वहां के नजदीक के गांव में शारीरिक व बौद्धिक उन्नति के लिए एक महिला जिसका नाम हलीमा सादिया था, के सानिध्य में भेज दिया। गांव से लौटने पर थोड़े समय बाद ही आपकी माता का देहान्त हो गया।
अब सारी जिम्मेवारी आपके चचा के ऊपर आ गयी, चचा का व्यापार था, आपको भी अपने व्यापार में लगा लिया तथा करिय ४ चराने का कार्य दिया गया। इसी तरह बकरियां चराचराते समय बीत गया और आपने जवानी में कदम रखा, आपको खुदा ने गजब का हुस्न, बांका शरीर शुद्ध हृद में ईमानदारी बख्शी, आपका सारा जीवन गरीबी और संघर्ष में ही बीता, मां का साया भी बचपन में ही उठ गया था।
बाप का प्यार क्या होता है? इसका तो कभी अनुभव ही नहीं हुआ। पच्चीसवें वर्ष में एक धनी बेवा महिला खुदीजा जो उस समय चालीस वर्ष की थी की आंख हजुरत से लड़ गयी और यह भी दिल दे बैठे, इनकी भी पच्चीस माल बाद ही लाटरी सी खुली थी.
जिस प्यार के लिए बेचार पच्चीस साल तक तरसते रहे, वह सारा प्यार जो पत्नी और मां दोनों के रूप में सांझा प्राप्त हुआ, इससे बड़ा और सौभाग्य क्या हो सकता था?
उस समय तो अगर खुदीना की आयु साठ वर्ष भी होती तो भी हज़रत उसका प्रस्ताव न ठुकराते । अब आप आगे मुहम्मद साहब के पवित्र?
जीवन चरित्र को ध्यान पूर्वक पढ़िये और उनके जीवन से लाभ उठाइये। क्योंकि ऐसा शिक्षाप्रद जीवन वृत्त मुश्किल से ही किसी ख़ुदा के पैगम्बर का मिलेगा, जिस पर चल कर जन्नत ही जन्नत है।
जिसमें प्रत्येक बात को सप्रमाण ही उद्धृत किया गया है जिसे सभी सुन्नी मुसलमान भाई प्रमाण रूप में मानते हैं, अगर आप इसको दोजख का मार्ग समझते हैं तो आज ही दिये गये ईमान को वापिस ले सकते हैं, क्योंकि बिना वास्तविकता जाने किसी का मुरीद हो जाना स्वाभाविक हैं
Author | |
Language | Hindi |
No. of Pages | 58 |
PDF Size | 1.3 MB |
Category | Biography |
Source/Credits | archive.org |
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