राम शर्मा आचार्य का जीवन – Gurudev Biogrpahy Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
उससे कहा कि अब की बार तेरे लड़का ही होगा और वह लड़का पूर्ण आयु का होगा ।उसके जन्म के समय हम गायत्री यज्ञ करा देंगे और उसी में उसका नामकरण संस्कार करा देंगे । उसको सान्त्वना देकर हम चले आए ।
उसके बाद उसके यहाँ फिर लड़के का जन्म हुआ हम तब उसके घर गए और उससे पूर्ण विश्वास के साथ कहा-लड़का पूर्ण आयु का होगा ।
पाँच कुन्ड के यज्ञ की तैयारी की, चैतन्य जी उस समय यज्ञ का कार्य करते थे उन्होंने बहुत ही सुन्दर यज्ञशाला तैयार कराई ।
उस दलाल ने अपने सब रिश्तेदार बुलाए । वह यज्ञ वहीं के कार्यकर्ता मिलकर करा रहे थे हमने किसी को भी उसकी सूचना नहीं दी थी । गुरुदेव को भी इस विषय का पत्र नहीं डाला था यज्ञ बहुत ही शानदार हुआ ।
डबरा के भी सभी भाई बहिनों ने उसमें भाग लिया अब नामकरण का समय आया तब मोहन लाल ने हमसे कहा-आप ही इसका नामकरण करावें ।
हमने उसका नामकरण संस्कार कराया और उसका नाम हमने गुरुप्रसाद रखा तीन दिन बहुत ही अच्छे ढंग से यज्ञ का कार्यक्रम चला ।
चौथे दिन पूर्ण आहुति थी । यज्ञ कार्यक्रम सुन्दर चला पूर्णाहुति हो गई तब सभी बहन भाई यज्ञशाला की परिक्रमा लगा रहे थे यज्ञ रूप प्रभो हमारे.. की ध्वनि चल रही थी । न मालूम कहाँ से यज्ञशाला में यकायक आग लग गई ।
यज्ञशाला को साड़ियों से सजाया था, बहुत सामान था । थोड़ी देर में आग ने यज्ञशाला भस्म कर दी । हम भी देख रहे थे ।
परम पूज्य गुरुदेव गायत्री माता का चित्र था, उस पर आँच नहीं आई । हजारों भाई बहिन थे, किसी को भी रत्ती भर नुकसान नहीं हुआ और कोई जला भी नहीं ।
लेखक | लीलापत शर्मा-Lilapat Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 185 |
Pdf साइज़ | 5.9 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
राम शर्मा आचार्य का जीवन – Ram Sharma Acharya Biography PDF Free Download