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कानूने शरीअत हिन्दी – kanune E Shariat Hindi PDF Free Download

शरीयत कानून
एक अरसये दराज से हिन्दी जानने वालों का यह तकाजा रहा कि अपने वालिदे माजिद मौलाना शमसुद्दीन अहमद साहब की मकबूते खास व आम किताब कानूने शरीयत जो कि इस्लामी लिटरेचर का मुख्तसर और मोकम्मल मजमूआ है
उसको हिन्दी में करा दें ताकि कौम की नौजवान नस्ल जो कि उर्दू में पूरी तरह वाकिफ नहीं है वह नस्ल दीनी व मजहबी मालूमात हासिल कर सके और अपनी अमली जिन्दगी को खुदा और रसूल की मर्जीके मुताबिक गुजार सके।
इस लिसिले मे खास कर जनाब मौलाना नूरूद्दीन निज़ामी प्रधानाचार्य राजकीय इन्टर कालेज रामपुर बार-बार तवज्जा दिलाई।
चूंकि वालिदे मोहतरमका हुक्म था कि किताब कानूने शरीयत सिर्फ हिन्दी लिपि में किया जाये। लेहाजा उनके हुबम के मुताबिक किंताब को ज्यों हिन्दी लिपि में लिखा गया।
खुदा का रास्ता बताने के लिये ख्वाह यह पैगाम नबी के पास फ़रिज्ता लेकर आया हो, खुद नबी को अल्लाह की तरफ से इसका इल्म हुआ हो।
ई नबी और कई फरिश्ते रसूल हैं। नबी सब मर्द थे न कोई जिन नबी हुआ न कोई औरत नबी हुई-एबादत रियाज़त के जरिए से आदमी नबी नहीं होता |
महज अल्लाह तआला की मेहरबानी से होता है इसमें आदमी की कोशिश नहीं चलती अलबत्ता नबी अल्लाह तआला उसी को बनाता है
जिसको इस लाएक पैदा करता है जो नबी होने से पहले ही तमाम बुरी बातों से दूर रहता है और अच्छी बातों से संवर चुकता है नबी में कोई ऐसी बात नहीं होती |
जिससे लोग नफ़रत करते हों नबी का चाल चलन, शक्ल सूरत, हसब नसब, तौर तरीका, बात चीत सब अच्छे और बे ऐब होते हैं
नबी की अक्ल कामिल होती है नबी सब आदमियों से ज्यादा अक्लमन्द होते हैं बड़े से बड़े हकीम फ़लसफ़ी की अक्ल नबी की अक्त के लाखवीं हिंस्सा तक भी नहीं पहुंचती।
जो यह माने कि कोई शख्स अपनी कोशिश से नबी हो सकता है वह काफ़िर है और जो यह समझे कि नबी की नुबूवत छीनी जा सकती है वह भी कािल है
नबी और फ़रिश्ता मासूम होता है यानी कोई गुनाह उससे नहीं हो सकता नबी | फ़रिश्ता के अलावह किसी एमाम और वली को मासूम मानना गुमराही ने बदमजहबी है
अकीदा अल्लाह तआला बालम से वे परवाह है उसको कोई नाफा नुकसान नहीं पहुंचता, न कोई पहुंचा सकता। वह जो कुछ करता है उसमें उसका अपना कोई फ़ायदा व गर्ज नहीं।
दुनिया को पैदा करने में न कोई उसका फ़ायदा औरना न पैदा करने में कोई नुकसान | अपना फल्ल व अद्ल कुदरत व कमाल जाहिर करने के लिये मखतूक को पैदा किया।
अकीदा अल्लाह ताला के हर काम में बहुत हिकमतें हैं हमारी समझ में आये या न आयें ये उसकी हिकमत है कि दुनिया में एक चीज को दूसरी चीज का सबब ठहराया।
आग को गर्मी पहुंचाने का सबब, पानी को सर्दी पहुंचाने का सबब बनाया, आँख को देखने के लिये, कान को सुनने के लिये बनाया अगर वह चाहे तो आग सर्दी, पानी गर्मी दे और आँख सुने कान देखे ।
अकीदा खुदा के लिये हर ऐब, नक्स मोहाल है जैसे झूठ जहल, भूल, जुल्म बेहयाई वगैरह तमाम बुराइयां खुदा के लिये मोहाल हैं और जो ये माने कि खुदा झूठ बोल सकता है लेकिन बोलता नहीं तो गोया वो ये मानता है
कि खुदा ऐबी तो है लेकिन अपना ऐब छुपाये रहता है फिर एक झूठ पर ही क्या खत्म सब बुराइयों का यही हाल हो जायेगा कि उसमें हैं तो लेकिन करता नहीं जैसे ज़ुल्म, चोरी, जेना, तवालुद व तनासुल वग़ैरहा ओयूचे कसीरा अदीदा, खुदा के लिए किसी नक्स व ऐब को मुमकिन जानना ख़ुदा को ऐबी मानना है बल्कि खुदा ही का इनकार करना है।
अल्लाह तआला ऐसे गन्दे अकीदे से हर आदमी को बचाये रक्खे।
लेखक | शमसुद्दीन जाफरी-Shamsuddin Jafari |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 559 |
Pdf साइज़ | 55 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
क़ानूने शरीअत हिन्दी – Qanoon E Shariat Hindi Pdf Free Download