प्रेमचंद के सुभासित और सूक्तियाँ – Subhasit Aur Suktiya Pdf Free Download
सुभाषित संग्रह
हिन्बी जगत ल्टा, उपन्यास सत्राद, साम्यवाद के सम्बेशवाहरक भारत के गोरी, साहित्य के गाँधी, ग्राम्य जीवन के बनुडे चित्रकार, प्रोर प्रादर्श कहानीकार,
प्रेमचन्द जी के विचार गगन मे टिमटिमाते तारा गों के समान असंख्य प्रौर सागर के समान गहरे है । उनका संकलन करना उतना ही बुस्साच्य है जितना उनकी सह तक पहुँचना ।
यही वी एक भीषण समस्या मेरे सम्मुख । इस समस्या का समाधान प्रा यह पुस्तक लिखकर । प्रेमचन्द साहित्य जितना गहन और गम्भौर है, उतना ही विस्तृत भी एक वर्जन उपन्यास,
तीन सौ कहानियाँ, तीन नाटक और अनेक अनुवाद तथा जीवनियों एवं निवन्बों में लेखक की भावनायें, विचार और उद्गार यत्र-तथ कोने-कोन में टिपे-खिपे भकांकते हैं ।
उनको उक्त स्थानो से निकाल कर एक स्वान पर संकलन हारना ही पुस्तक का ध्येय है । प्रेमचन्द को सुभाषित और सूरतियों में ही वास्तविक प्रेमचन्द बोलता है।
ऐसा केवल मैने ही अनुभव नहीं किया अपितु आप सब भी इस पुस्तक का अवलोकन कर इसी मत से सहमत होंगे । जहाँ तक हो सका है, इन विचार-को भिन्न शीर्षक-मे का मैने किया हूं ।
जीजन की विविक झोकियों मे बचपन से लेकर वुढ़ापे तक, मनो वृत्तियों में बया और क्षमा से लेर भय और संकोच तक, पक्ष-विपक्ष विचारों में सत्य और मिण्या से लेकर प्रेम और वासना
तक नादी फेविभिन्न रूपों में विधवा और परित्यक्ता से लेकर धेश्या तक, समाज भिन्न-भिन्न चित्रों में भाई-बन्धु से लेकर बुनिर्या तक, शृथक्-पृथकु] व्या सयो में किसान और क्लर्क से लेकर
सिपाही और सम्पादक तक, रीति रिवाजो में दान-दहेज से लेकर विवाह प्रथा तक, शिक्षा के क्षेत्र में स्त्र शिक्षा से लेकर सह शिक्षा तक, प्रावदयक मानबीय वस्तुध्रों में भोजन
में लेकर आभूषरण तक, विभिन्नवाद एवं सथर्षों में साम्यवाव से लेकर आदर्शवाद तक और ऐसे ही असंख्य फुटकर विचार-क्षेत्रों में प्रेमचन्द ने पदार्पण किया है, जिसका उनके यह ग्रीर सूक्तियां हैं।
लेखक | प्रेमचंद-Premchand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 196 |
Pdf साइज़ | 5.1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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