परम शांति का मार्ग | Road To Peace PDF In Hindi

परम शांति का मार्ग – Param Shanti Ka Marg Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

केवल इहलौकिक और पारीरिक कामनाओं की सिद्धिक लिये ही राजसी मनुष्य तीर्थ- यात्रा करते हैं । इनमें धर्म-सप्राध्के च्रिये निष्कामभावसे तीर्थयात्रा करनेवाळे मनुष्य साविक है

सकामभायरे यात्रा करनेत्ाले राजसी है, क्योंकि निग्कामभात्रसे की एई नीर्थ न्याचाका फल मुक्ति है और सकामभातसे की दुई तीर्थ-पात्राका फड इस खोकके मान-प्रतिष्ठा,

स्त्री-पुत्र, धन आदि और परलोकके स्वर्ग आदि भोगकी प्राति है। तीयोंमें धर्म, काम और मोक्ष- इन तीनों पदायोंकी सिद्धि होती है और वे मनुग्यको पायोसे मुक्त करनेवाले है, इसीसे उन्हें ‘तीर्थ कहा जाता है ।

ससारमें जितने भी तीर्थ हैं, वे प्रायः सभी श्रीभगवान् और उनके भक्तोंके सगसे ही तीर्थ बने हैं। उनकी तीर्थ-संज्ञा ईश्वरके, महापुरुषोंकि या पतित्रता खियोंके प्रभावसे ही हुई है ।

पतिव्रताएँ भी एक प्रकारसे महात्मा ही हैं ।श्रीमागीरथी गङ्गा एक महान् तीर्थ है । श्रीमद्भागवतके नवम स्कन्धके नवें अध्यायमें बतलाया है कि महाराज भगीरथने अपने पितरोंके उद्धारके लिये

इस मर्त्यलोकमें गङ्गाको लानेके उद्देश्यसे बडी भारी तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर गङ्गाने उनको प्रत्यक्ष दर्शन दिया और कहा- ‘जिस समय मैं सर्ग से पृथ्वी तल पर गिरा,

उस समय कोई मेरे वेगको धारण करनेवाला होना चाहिए | इसपर राजा मगीरथने तपस्याके द्वारा मगरा शह्र का प्रश्न किया, जिससे श्रीशङ्करने गढ़ाको अपनी जटामें ही धारण कर लिया ।

र राजा भगीरयकी प्रार्थनापर श्रीशिवकी कृपासे उनकी भटासे निकलकर गङ्गा पृथ्वीपर प्रवाहित हुई । उन परमपायनी गह्दाके स्पर्शमात्रसे राजा भगीरथके प्तिर-सगरपुत्र खर्गको चले गये ।

इसलिये उस स्थानका नाम ट्गासागर तोपें हुआ । भगवान् शिव और राजा मगीरयके प्रभावसे पाप-मुक्त करने के कारण हो गया एक प्रधान तीर्थ मानी जाती है । इसी प्रकार काशी-क्षेत्र भी भगवान् शिवके प्रतापसे तीर्थ हुआ है।

लेखक जयदयाल गोयन्दका-Jaidayal Goindka
Gita Press
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 445
Pdf साइज़11.3 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

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