ऑप्शन ट्रेडिंग बुक | Option Trading Book PDF In Hindi

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ऑप्शन ट्रेडिंग बुक – Option Trading Book PDF Free Download

ऑप्शन ट्रेडिंग बुक

हाई नून ऑफ इंडियन कैपिटलिजम

कोलकाता की खाली सड़कों पर पुरानी एंबेसडर कार चलती चली जा रही थी, लेकिन धुंध थी कि छैंटने का नाम नहीं ले रही थी। वह जनवरी की कड़ाके की ठंड भरी सुबह थी और अपने पाँच महीने के बच्चे और पत्नी के साथ मैं एयरपोर्ट की तरफ बढ़ा चला जा रहा था। मुझे लंदन की फ्लाइट पकड़नी थी और मैं यहाँ एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने के लिए अपने पैतृक घर आया हुआ था।

वह साल 2008 था। बसों और ट्राम में लोगों को काम पर जाते हुए मैं देख रहा था कि तभी टैक्सी ड्राइवर ने मुझसे हिंदी में सवाल किया, रिलायंस पावर सर क्या लगता? कंपनी कैसी है? जब मैंने उसे जवाब में कहा कि मैं भारत में नहीं रहता, मैं रिलायंस पावर के बारे में नहीं जानता, तो ड्राइवर को लगा कि वह मेरी कुछ मदद कर सकता है।

ड्राइवर ने कहा कि रिस्क कम है और सिक्योरिटी ज्यादा है। मुझे अफसोस हुआ • अपनी बुद्धि पर कि ड्राइवर मुझसे रिलायंस पावर के इनिशियल पब्लिक इश्यू (आई.पी.ओ.), जो कि उस समय देश का सबसे बड़ा आई.पी.ओ. था, के बारे में बात कर रहा था और इतनी सी बात में समझ नहीं पाया। उस आई.पी.ओ. के जरिए कंपनी सार्वजनिक शेयर जारी कर 100 खरब रुपए जुटाना चाह रही थी।

तब तक ठंड भरे कुहरे और मेरे बेटे की जरूरतों पर ध्यान देने की अपेक्षाओं के बीच में कौतूहल से भर उठा। आखिरकार मैं कोलकाता में था, जो कि राज्य की राजधानी था और जिस पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 30 साल तक राज किया था।

यह वह शहर था, जिसे विद्वानों और व्यंजनों के लिए जाना जाता था, न कि इसके जोखिम लेने की भूख के लिए इसे जाना जाता था और तब भी हर दूसरा व्यक्ति, जिससे में पिछले हफ्ते मिला, वह आई.पी.ओ. के बारे में हो बातें करता था। पिछली शाम, डिनर टेबल पर मैने बु

निवेशक, जिसने आई.पी.ओ. में रिलायंस पावर में एक लाख रुपए के शेयर खरीदे थे, उसकी कीमत अगस्त 2014 में महज 32 हजार रुपए रह गई थी। इसका मतलब यह हुआ कि उन्हें सालाना 17 फीसद की दर से नकारात्मक रिटर्न हासिल हुआ और वह भी साढ़े छह साल की समय अवधि में।

कुल मिलाकर देखा जाए तो 103 खरब रुपए जनता के उस आई.पी.ओ. में निवेश हुए थे। छह साल बाद वह 103 खरब रुपए महज 33 खरब रुपए की कीमत के रह गए थे। सवाल यह है कि आखिर बाकी के 70 खरब रुपए कहाँ गए?

आखिरकार यह एक प्रदर्शन करनेवाली कंपनी है, जिसने जनता के पैसे को बिजलीघर तैयार करने में निवेश करने का वादा किया था। क्या वे निवेश वास्तव में धरातल पर उतर सके या सरकार ने योजना बदल दी और अवसरवादिता में शामिल हो गई या दूसरे कारक भी वहाँ खेल में मौजूद थे, जो रिलायंस पावर के सब-पार पोस्ट आई.पी.ओ. प्रदर्शन के बारे में विस्तार से जानते थे?

रिलायंस पावर को लेकर हुआ मामला चुनिंदा मामलों में चरम स्तर की तरह था, जिसने भारतीय बाजार में निवेश की और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया। भारत में निवेश के अवसर कुछ इस कदर ज्यादा थे कि लगभग सभी अखबार पढ़नेवाले उनसे वाकिफ रहते थे और फिर भी भारतीय कंपनियों की अभिभूत करनेवाली संख्या भी उन अवसरों को हकीकत में बदल पाने और अपने शेयरधारकों के लिए दो अंकों का रिटर्न दिला पाने में नाकाम साबित हो रही थी।

दरअसल, पिछले 20 सालों में, 80 फीसद सूचीबद्ध भारतीय कंपनियाँ अपने शेयर पर ऐसा रिटर्न दे पाने में विफल रहों, जो मुद्रास्फीति की दर (जो कि अमूमन 7 फीसद पर रही है) से आगे जा सका हो। फिर भी, जबकि बहुसंख्यक कंपनियाँ जहाँ अपने शेयरधारकों को दोहरे अंकों में रिटर्न नहीं दिला पाई, वहीं बाकी बची अल्पसंख्यक कंपनियों ने या त

इन चुनौतियों का सीधा-सीधा मतलब यह है कि भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों का बहुत छोटा तबका हो ऐसा है. जो बाजार में लंबे समय तक टिका रहा और संतोषजनक रिटर्न दे पाने में सफल हुआ अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए उन निवेशकों को अपनी प्रतिभा का जबरदस्त नमूना पेश करते हुए उन अल्पसंख्यक कंपनियों का चयन किया होगा, जिन्होंने पिछले 20 सालों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत प्रदर्शन किया और लाभ कमाने में सक्षम रहीं।

मैं जब से लंदन से भारतीय शेयर बाजार में काम करने के लिए लौटा, तभी से निवेशकों के इस उच्चवर्ग के समूह की सफलता ने मुझे आकर्षित किया है। किसी कंपनी की संभावनाओं को लेकर जब जन आकांक्षा उबाल मार रही थी, तब उस दशा में उन्होंने खुद पर कैसे काबू रखा और शांतचित्त बने रहे, वे कैसे यह समझ पाने में सफल हुए कि कौन सी कंपनी राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों से बेहतरीन तरीके से सौदा करेगी और फिर भी अपने शेयरधारकों को अच्छा रिटर्न देगी ज्यादातर कंपनियों की अकाउंटिंग तिकड़म के बीच से कैसे निवेश लायक उन अल्पसंख्यक भारतीय कंपनियों का ताल सके, जो वास्तव में अच्छा काम कर रही थी? यह पुस्तक उन पहलुओं पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगी कि किस तरह कोलाहल के गुरु ने भारतीय शेयर

Language Hindi
No. of Pages160
PDF Size2 MB
CategoryNovel
Source/Creditspdfseva.com

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