नेकी की दा’वत – Neki Ki Dawat Book PDF Free Download
नेकी की दा’वत की जरुरत
- कुरान में नेकी पर दावत का आदेश
- हर एक अपनी इच्छा के अनुसार अच्छे कामों की जेवनार करे।
- हर मुसलमान मुसलमान है.
- एक अच्छा कार्य वह है जिससे दूसरों को लाभ हो।
- अपराधों से भरे जीवन की निंदा
- पापों की दवा
- खाओ, पियो और जियो!
- संसार अच्छा न लगने का मुख्य कारण
- इस्लाम सिर्फ नाम का रह जायेगा
- मुसलमान सिर्फ नाम के रह जायेंगे
- जब कफन चोर ने सुनी रहस्यमयी आवाज…
- क्या गैर-मुस्लिम भी हमारी नकल करते हैं?
- असफल प्रेमी
- ग़ैर शर-ए इश्के मजाज़ी की तबाही
- सय्यिदुना उस्मान कब्र को देखकर गिर पड़े और कहते रहे
- किसी की कब्र बाग़ है और किसी की कब्र में आग लगी हुई है
- कब्र का अकेलापन
- अपनी जवानी को धोखा न देने दें!
- कल्बे सलीम किसे कहते हैं?
- पांच से प्यार और पांच से दुख
- मुझे संगीत और वाद्ययंत्रों से छुटकारा मिल गया
- भलाई का भोज देते समय, उसने भय से परमेश्वर की दोहाई दी।
- यदि आप किसी को रोते हुए देखें तो रोयें
मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली कीनिया सआदत में फ़रमाते हैं : आलिम की ग-लती बयान करना दो वजह से हराम है। एक तो इस लिये कि येह गीबत है।
दूसरे इस लिये कि लोगों में जुरअत पैदा होगी जितने ज़्यादा लोगों को उस खाते पर मुत्तल करेगा, गुनाहों में इज़ाफ़ा होता चला जाएगा। मुसलमान को चाहिये कि अव्वल तो लोगों के उयूब जानने से मुकर मेह मुकरम बचे अगर कोई बताने लगे तब भी सुनने से खुद को बचाए।
बिलफ़र्ज़ किसी तरह किसी का ऐब नज़र आ गया या मा’लूम हो गयर हो तो उस को दबा दे। बिला मस्ल-हते जन्नतुल बकी शर-ई हरगिज़ किसी पर ज़ाहिर न करे ।
हस्बे जरूरी मालूमात करना गुनाह नहीं बल्कि इस तरह के मुआ-मले में जिस से पूछा गया उस पर वाजिब है कि दुरुस्त बात बताए और अगर इस किस्म के मुआ-मलात की वजह से सुवाल न किया गया हो तो गीबतों और तोहमतों के ज़रीए अपने लिये जहन्नम में जाने का सामान करने के बजाए ऐब पोशी से काम ले कर जन्नत का हकूदार बने।
मगर उमूमन तरह तरह के सुवालात के जरिए ऐबों की टटोल (या’नी ट्यूब की मालूमात और कुरेद) में येह निय्यत नहीं होती, बस लोग पूछने की खातिर पूछते रहते हैं और बसा अवकात खुद भी गुनाहों में पड़ते और बारहा जवाब देने वाले को भी गुनहगार कर देते हैं।
किसी ने मकान किराए पर लिया तो पूछना : मकान मालिक कैसा है? येह सुवाल फी नफ्स ही गुनाह न सही मगर कई गुनाहों का सबब बन सकता है, म-सलन किराए दार ने जवाबन कहा : मुआमलात का साफ़नहीं, बहुत बद अख़लाक़ और कन्जूस है, इस तरह तीन ऐब खोले वोह भी अगर उस में मौजूद हों तो ही ऐव कहलाएंगे और अब येह बताना तीन गीबतें हुई वरना तोहमत।
अगर सिर्फइस लिये पूछा कि मकान मालिक केड़यूब मा’लूम हों तो अब येह “ऐब ढूंडना” हुवा जो कि गुनाह व हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है।
किसी ने मकान किराए पर दिया तो पूछना : किराए दार कैसा है ? येह सुवाल भी फ़ी नफ्स ही गुनाह न सही मगर कई गुनाहों का सबब बन सकता है, म-सलन मालिके मकान ने जवाबन कहा : बड़ा ही चालबाज़ है, कभी वक्त पर किराया नहीं देता .
लेखक | Unknown |
भाषा | हिंदी |
एकूण पृष्ठे | 618 |
PDF साइज़ | 118.4 MB |
Category | Islamic |
Credit | ia600100.us.archive.org |
नेकी की दावत – Neki Ki Dawat Book/Pustak Pdf Free Download