नवधा भक्ति | Navdha Bhakti PDF In Hindi

नवधा भक्ति – Navadha Bhakti Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

श्रीकृष्णरूपमें प्रकट हुए थे. उन प्रेममय, नित्य अविनाशी, विज्ञानानन्दधन, सर्वव्यापी हरिको ईश्वर समझना चाहिये । अव भक्ति किसका नाम है इस विषय में विचार करना चाहिये।

महर्षि शानिइल्यने कहा है-सा परानुरकिरीयरे शिरमें परम अनुराग यानी परम प्रेम ही भक्ति है। इस प्रकार और भी बहुत-से वचन मिलते हैं। इनसे यही माम होता है

ईश्वरमें जो परम प्रेम है,वही अमृत है, वही असली भक्ति है। यदि कहें कि व्याकरणसे भक्ति शन्दका अर्थ सेवा होता है; क्योंकि भक्ति शब्द ‘भज सेवायाम्’ धातुसे बनता है

तो यह कहना भी ठीक ही है। प्रेम सेवाका परिणाम है और भक्तिके साधनकी अन्तिम सीमा है। जैसे वृक्षकी पूर्णता और गौरव फल आनेपर हो है, इसी प्रकार भक्तिको पूर्णता और गौरव भगवान्में परम प्रेम होनेमें ही है।

प्रेम ही उसकी पराकाष्ठा है और प्रेमके ही लिये सेवा की जाती है। इसलिये वास्तव भगवान्में अनन्य ग्रेमका होना हो भक्ति है। यद्यपि ईश्वरकी भक्तिमें सभी जीवोंका अधिकार होना

न्याययुक्त जटायु आदि पशु-पक्षी भी भगवान् की भक्ति के प्रतापसे परमपद को भक्ति ही एक ऐसा साधन है जिसको सभी सुगमतासे कर सकते हैं और जिसमें सभी मनुष्योंका अधिकार है।

इस कलिकालमें तो भक्तिके समान आत्मोद्धारके लिये दूसरा कोई सुगम उपाय है ही नहीं; क्योंकि ज्ञान, योग, तप, याग आदि इस समय सिद्ध होने बहुत ही कठिन है और इस समय इनके

उपयुठ सहायक सामग्री आदि सावन भी मिलने कठिन हैं। इसलिये मनुष्यको कटिबद्ध होकर केवल ईश्वरकी भक्तिका ही साधन करनेके लिये तत्पर होना चाहिये ।

विचार करके देखा जाय तो संसारने धर्मको माननेवाले जितने लोग हैं उनमें अधिकांश ईबर-मक्तिको ही पसंद करते हैं। अब हमको यह विचार करना चाहिये कि ईश्वर क्या है और उसकी भक्ति क्या है ।

लेखकजयदयाल गोयन्दका-Jaidayal Goindka
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ100
Pdf साइज़12.1 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

Related PDFs

भक्ति PDF

नवधा भक्ति – Navdha Bhakti Book Pdf Free Download

1 thought on “नवधा भक्ति | Navdha Bhakti PDF In Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!