मुगलों का इतिहास – Mughal History Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
बहादुरशाह बादशाह यदि गदर की सीत में न फैसे होते, तो उनका साधु जीवन बडा आनन्द तया शान्ति के साथ ब्याह होता।
किन्तु येयारे विद्रोही सेना के चकर में पर गये, और उनकी आयु फा अन्तिम भाग भीषण पापत्तियों मे व्यतीत हुआ।
यहादुरशाह को सुपुत्री कल्सूम जमानी बेगम स्वच्छ शुभा से कहती थी कि जब दिल्ली की वागी फौजा ने पहाडो को अंग्रेजी सेना से हार खाई, उसी दिन में प्रति दिन के अनुसार बादशाह-मलामत की मेवा मे प्रणाम करने के लिए उपस्थित हुईे। याद्गाह-सलामत इम समय प्रार्थना स्थान बैठे विशेष भक्ति के साथ प्रार्थना कर रहे थे।
मैं उनको प्रार्थना में तन्मय देखकर पीछे खड़ी हो गई, तथा उनके मुख से निकले हुए वचन सुनने लगी वे कह रहे थे:-जब बादशाह प्रार्थना समाप्त कर चुके, तो मेरी ओर मुँह किया ।
मैंन प्रणाम किया। यादशान्द्- सलामत आँखो मे आँसू भरकर बोले, “कल्सुम, जीती रहो। केटी, ईश्वरेच्छा पर सन्तुष्ट रहने का समय आ गया ।
अभी मैन स्वप्न देखा है कि हुरियो से मेरे बच्चो की हत्या को जारही है, मेरे महल की खियाँ नंगे सिर सुनसान जगल मे खबी हैं, और रो रही हैं।
इतने में किसी ने आबाच दो- ‘अथ ज़फ़र, यह हमारे प्रेम की डगर है। यहाँ सब पर आपत्तिये आती हैं देख, घवरा न जाइयो ।’
इस आवाज को सुनते ही दिल को साहस हुआ, तथा जो दृश्य दिखाई दे रहा था, एक साधारण-सी वात मालूम होने लगी ।
आरम्भ मे मैं अपने बाल-बच्चों की असहाय दशा देखकर व्याकुल हो गया था। इस स्वप्न से ध्यान होता है कि मेरे वश के नष्ट होने के समय निकट आ गया है।
लेखक | ख्वाजा हसन निजामी-Khwaja Hasan Nizami |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 182 |
Pdf साइज़ | 3.7 MB |
Category | इतिहास(History) |
मुगलों का इतिहास – Mughal History Book Pdf Free Download