आधुनिक विश्व का इतिहास | History of The Modern World PDF In Hindi

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आधुनिक विश्व का इतिहास – Modern World History PDF Free Download

आधुनिक विश्व

मध्यकाल तक इतिहास को एक स्वतन्त्र विषय के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। इतिहास को साहित्य अथवा दर्शन की एक शाखा ही माना जाता था।

सत्रहवीं शताब्दी की वैज्ञानिक क्रान्ति ने इतिहास में आलोचनात्मक दृष्टिकोण का समावेश किया गया किन्तु अठारहवीं शताब्दी तक इतिहासकारों को यह समझ नहीं थी कि समय के साथ हर युग की विशिष्टताएं बदल जाती हैं। बार्टहोल्ड नेबूर (1776-1831) ने इतिहास को गौण विषय से एक स्वतन्त्र विषय के रूप में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की थी।

उसकी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ रोम (1811-12) से आधुनिक ऐतिहासिक प्रणाली का जन्म माना जाता है।

प्राचीन रोम के इतिहास के सन्दर्भ में बार्टहोल्ड नेबूर द्वारा ऐतिहासिक अन्वेषण की वैज्ञानिक प्रणाली का विस्तार कर लियोपोल्ड वॉन रॉके ने इतिहास दर्शन की निश्चयात्मक अभिगम का विकास किया।

नेबूर के बाद रॉके को यह श्रेय दिया जाता है कि उसने इतिहास में व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक दृष्टि से आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रचलित किया।

उद्देश्य

इस इकाई का उद्देश्य आपको उन्नीसवी शताब्दी से पूर्व के इतिहास लेखन की दुर्बलताओं से अवगत कराया जाएगा और यह बताया जाएगा कि किस प्रकार नंदूर तथा रॉके ने इतिहास-दर्शन के निश्चयात्मक अभिगम का विकास कर आधुनिक इतिहास लेखन को एक वैज्ञानिक आधार देकर उसे एक स्वतन्त्र विषय के रूप में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।

इस इकाई में इतिहास के क्षेत्र में रॉके के योगदान की विस्तार से चर्चा तथा समीक्षा की जाएगी। इस इकाई के अध्ययन के उपरांत आप अग्रांकित के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे

1 नेदूर तथा रॉके से पूर्व इतिहास लेखन में व्याप्त दोष ।

2- रॉके के ऐतिहासिक

पुनर्जागरण एक फ्रेंच शब्द (रेनेसी) है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- ‘फिर से जागना’ इसे ‘नया जन्म अथवा ‘पुनर्जन्म’ भी कह सकते हैं। परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से इसे मानव समाज की बौद्धिक चेतना और तर्कशक्ति का पुनर्जन्म कहना ज्यादा उचित होगा। प्राचीन यूनान और रोमन युग में यूरोप में सांस्कृतिक मूल्यों का उत्कर्ष हुआ था।

परन्तु मध्यकाल में यूरोपवासियों पर चर्च तथा सामान्तों का इतना अधिक प्रभाव बढ़ गया था कि लोगों की स्वतंत्र चिन्तन-शक्ति तथा बौद्धिक चेतना ही लुप्त हो गई।

लैटिन तथा यूनानी भाषाओं को लगभग भुला दिया गया। शिक्षा का प्रसार रुक गया था। परिणामस्वरूप सम्पूर्ण यूरोप सदियों तक गहन अन्धकार में दबा रहा। ईश्वर चर्च और धर्म मे के प्रति यूरोपवासियों की आस्था चरम बिन्दु पर पहुँच गई थी।

धर्मशास्त्रों में जो कुछ सच्चा झूठा लिखा हुआ अथवा चर्च के प्रतिनिधि जो कुछ बतलाते थे, उसे पूर्ण सत्य मानना पड़ता था। विरोध करने पर मृत्युदण्ड दिया जाता था।

इस प्रकार लोगों के जीवन पर चर्च का जबरदस्त प्रभाव कायम था। चर्च धर्मग्रन्थ के स्वतन्त्र चिन्तन और बौद्धिक विश्लेषण का विरोधी था। सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में भी चर्च और सामन्त व्यवस्था लोगों को जकड़े हुए थी। किसान लोग सामन्त की स्वीकृति के बिना मेनर (जागीर) छोड़कर नहीं जा सकते थे।

मध्ययुग के अन्त में मानवीय दृष्टिकोणों में आमूल परिवर्तन आया जब भूमि के द्वारा उदर पोषण का स्रोत उपलब्ध न रहा तो लोग मेनर से अपना सम्बन्ध तोड़कर कृषि फार्मों पर स्वतंत्र रूप से मजदूरी करने लगे या गाँवों में जाकर अन्य कोई काम करने लगे अथवा कस्बों या गाँवों में अपनी स्वयं की दुकानें खोलने लगे।

(1) धर्मयुद्ध ( क्रूसेड) – ईसाई धर्म के पवित्र तीर्थ स्थान जेरूसलम के अधिकार को लेकर ईसाइयों और मुसलमानों (सैल्जुक तुर्क) के बीच लड़े गये बुद्ध इतिहास में ‘धर्मयुद्धों के नाम से विख्यात है।

ये युद्ध लगभग दो सदियों तक चलते रहे। इन धर्मयुद्धों के परिणामस्वरूप यूरोपवासी पूर्वी रोमन साम्राज्य (जो इन दिनों में बाइटाइन साम्राज्य के नाम से प्रसिद्ध था तथा पूर्वी देशों के सम्पर्क में आये इस समय में जहाँ यूरोप अज्ञान एवं अन्धकार में डूबा हुआ था. पूर्वी देश ज्ञान के प्रकाश से आलोकित थे।

पूर्वी देशों में अरब लोगों ने यूनान तथा भारतीय सभ्यताओं के सम्पर्क से अपनी एक नई समृद्ध सभ्यता का विकास कर लिया था।

इस नवीन सभ्यता के सम्पर्क में आने पर यूरोपवासियों ने अनेक वस्तुएं देखीं तथा उन्हें सजाने की पद्धति भी सीखी। इससे पहले वे लोग अरबों से कुतुबनुमा वस्त्र बनाने की विधि, कागज और छापाखाने की जानकारी प्राप्त कर चुके थे।

धर्मयुद्धों के परिणामस्वरूप यूरोपवासियों को नवीन भागों की जानकारी मिली और यूरोप के कई साहसिक लोग पूर्वी देशों की यात्रा के लिए चल पड़े।

उनमें से कुछ ने पूर्वी देशों की यात्राओं के दिलचस्प वर्णन लिखे, जिन्हें पढ़कर यूरोपवासियों की कूप मंकता दूर हुई।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 404
PDF साइज़50 MB
CategoryHistory
Source/Creditslpude.in

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