मनुष्य जीवन की सफलता – Success Human Life Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
वर्तमान समयमें उन्नतिके नामपर चारों ओर इस प्रकारके अनर्गल कार्य हो रहे है कि जिनसे देश, जाति और धर्मका पतन होता जा रहा है।
उन सब अनर्थपूर्ण कार्योंको समझ-सोचकर उनसे स्वयं विरत होना तथा दूसरोंको उनकी बुराइयों समझाकर विरत करना चाहिये और ऐसा प्रयत्न करना चाहिये जिससे देश, जाति और धर्मका उत्थान हो ।
हम अपनी धर्म-निरपेक्ष सरकारसे भी अनुरोध करते हैं कि वह हमारी प्रार्थनापर ध्यान दे । यहाँ ऐसी कुछ बातोंका दिग्दर्शन कराया जाता है सियोके लिये हिंदू-श्र्मका प्रधान अङ्ग है ;
उसके विरुद्ध जो तलाक विधेयक स्वीकृत किया गया है, वह भारतीय पतिव्रता खियोंकि प्रति घोर अन्याय है। इससे सस्कारगत विवाहका मूल आदर्श ही नष्ट हो जाता है ।
यह लियोके सतीत्वको तो नष्ट करने वाला है ही, ख्रियोकि सुखपूर्वक जीवनयापनमें भी वाधा पहुॅचानेवाला है। पुरुष वर्ग इस तळाक-कानूनके सहारे निर्दोष खीपर दोष उसका त्याग कर सकता है।
फिर उन वेचारी अवलाओंकी क्या गति होगी ! चरित्रहीन पुरुष आपनी विषयकामनाकी पूर्तिके लिये इस तलाक-कानूनका आश्रय लेकर सरल स्वभावकी धनी स्वियोंसे,
पतिको छुड़ाकर, अपने साथ वैवाहिक सम्बन्ध जोड़ सकते है और इस प्रकार क्षणिक सुखका प्रलोभन देकर उनके धन और सतीत्वका हरण कर सकते है। ऐसी परित्यक्ता नियोकी संख्या वृद्धि हो सकती है ।
समाजके लोगोंके जो संस्कार हैं, उनके अनुसार उन खियोंके साथ भले लोग विवाह नहीं कर सकते, इससे पतित पुरुषोंको अपनी नीच वासनापूर्तिके लिये मौका मिल सकता है ।
त्रिदेशोंकी भोति यहाँ भी दम्पतिमें हो सकती है, इससे प्रेमं तो बाधा है ही, साय ही धनका अपव्यय भी है । उस दिन – ने यह ठीक ही कहा था कि ‘छूट देकर श्रेषठ कलङ्कित किया जा रहा है ।’
लेखक | जयदयाल गोयन्दका-Jaydayal Goindka |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 372 |
Pdf साइज़ | 11.7 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
मनुष्य जीवन की सफलता – Manushya Jeevan Ki Safalta Book/Pustak Pdf Free Download