मानसिक रोग कारण और निवारण – Psychiatric Disease And Treatment Book Pdf Free Download

Medical Psychiatry Book of Symptoms And Diseases
दिया जाय तो उनको भविष्य में रोगग्रस्त होने से बचाया जा सक्ता है ।
प्रियजन का विछोह भरपवा विसी प्रियजन का निधन होने के बारण मन मे जो भय ममा जाता है मपवा स्नायुमण्डल मे जो दुब लता भा जाती है, उसके लिए यह मोपधि अत्य त उत्तम सिद्ध होती है ।
एक युवा वन्या जो कि हिस्टीरिया की रोगिणी बन गई थी, इगनेशिया २०० से उसकी चिकित्सा की गई।
पारिवारिक इतिहास की जानकारी प्राप्त करने पर विदित हुआ कि करया की माता अत्यधिक रुग्ण रहा करती थी, क्या सदा उसकी सेवा में लगी रहती थी।
एक दिन वह अपनी माता के सिर पर तेल मालिश कर रही थी कि सहसा चीख पड़ी भोर बोली, “हाय / मेरा गला घुट गया गला घुट गया।” इस प्रकार निराशा और चिता से ग्रस्ति वह विस्तर पर जा बेटी ।
दो-तीन दिन तक मस्वस्य रही। दुवलता इतनी हो गई कि उससे बोला भी नही जाता था।
तीन दिन के बाद किसी प्रकार ठीक प्रकार से भोजन क्या । टाँगो मे दुवलता थी । उसके दूर होने पर किसी प्रकार सामाय स्थिति मे आई।
इसके बाद फिर उसको समय-समय पर दौरा पड़ने लगा । चिकित्सा आरम्भ की गई। अनक अाधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक ने उसकी चिकित्सा पी वि तु कोई लाभ नहीं हुआ।
समय बीतते-वीतते सप्ताह मे दो बार दौरा पड़ने लग गया। उसके बाद वह होम्योपैथिक चिक्तिसा की शरण मे आई।
रोगिणी का पूर्ण इतिहास जानने के उपरात उसकी इगनशिया की रोगिणी समझा गया तदपि पुराना केस होने के कारण स्वयं मुझको इग नशिया की सफलता पर उतना विश्वास नहीं था,
क्योकि प्रथम घटना से माभास होता था कि अपनी माता का रोगग्रस्त देखकर लडकी को दु ख हुना था, इस कारण वह अपना मानसिक स तुलन बनाये नही रख सकी ।
प्रत प्रथम लक्षणों के आधार पर उसको इगनशिया देना ही उचित समझा गया और विचार किया गया कि यदि इससे लाभ न हुआ तो फिर किसी |
लेखक | प्रकाश भारती-Prakash Bharati |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 182 |
Pdf साइज़ | 3.4 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
मानसिक रोग कारण और निवारण – Mental Illness And MedicineHindi Pdf Free Download