मजाज और उनकी शायरी | Shayri PDF In Hindi

मजाज और उनकी शायरी | Majaj Aur Unki Shayri Book/Pustak Pdf Free Download

उदासी भी है और वातावरण की विपमताओरों के विरुद्ध विद्रोह की प्रचढ अग्नि भी। ‘आवारा’ मे मैने ‘मजाज का पूरा व्यक्तित्व देख लिया लेकिन इसके साथ ही इस बागी बहार व्यक्ति को समीप से देखने की मेरी इच्छा और भी प्रबल हो उठी ।

यह इच्छा बहुत समय बाद १९४८ ई० मे पूरी हुई जव देश के बटवारे के बाद मैं लाहौर से दिल्ली में आ वसा था और मैने और ‘साहिर लुधियानवी ने उर्दू की प्रसिद्ध पत्रिका ‘शाहराह’ की नीब डाली थी। ‘मजाज’ से मेरी मुलाकात बडे मीया ढंग से हुई।

रात के दस-व्यारह का समय होगा । मैं और ‘साहिर’ नया मुहल्ला, पुल बंगश के एक मकान में उठ रहे थे । मुहस्ला मुसलमानो का था और शहर का वाता वरण मुसलमानों के खिलाफ । अर्थात्, एक चीज मेरे खिलाफ थी और दूसरी ‘साहिर’ के ।

इसलिए हम चाहते थे कि बटे यत्लो से हाथ आए उस मकान पर हमारे कब्जे की किसी को कानो-कान खबर न हो। ‘लाहिर’ चुपके-चुपके सामान डो रहा था और में मुहल्ले के बाहर सड़क के किनारे सामान की रखवाली कर रहा था कि एकाएक एक दुबला-पतला व्यक्ति अपने शरीर नामक हड्डियो के ढचर पर शेरवानी मढ़े बुरो

तरह लडखडाता पौर बड़वडाता मेरे सामने या खडा हुआ । “घरतर मीरानी’ मर गया-हाए ‘पख्स र” तू उद का बहुत बड़ा वायर बा-बहुत बहा।”‘मजा’ के जीवन की सबसे बड़ी ट्रेजिडी औरत है।”

‘मजाज’ से मिलने से पूर्व में ‘मजा’ के बारे मे तरह तरह की बातें सुना और पढ़ा करता या और उसका रगारग चित्र मेने उसकी रचनाओं मे भी देखा था। विशेष रूम से उसकी नज्म ‘आवारा’ मे तो मैने उसे साक्षात् रूप मे देख लिया था।

जगमगाती, जागती सड़को पर धावारा फिरने बाला शायर ! जिसे रात हंस-हंसकर एक योर भैखाने यौर प्रेमिका के काशाने ( घर ) मे चलने को कहती है तो दूसरी पोर सुनसान वीराने में । जो प्रेम की असफलता पौर संसार के तिरस्कार का शिकार है।

लेखकप्रकाश पंडित-Prakash Pandit
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ102
Pdf साइज़2.3 MB
Categoryप्रेरक(Inspirational)

शायरी – Shayri Book/Pustak Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!