खादी के फूल- बच्चन | Khadi Ke Fool Hindi PDF

खादी के फूल – Khadi Ke Fool Hindi PDF Free Download

महात्मा जी के अश्रात उद्योग से जहाँ हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई है वहाँ उनके महान व्यक्तित्व से हमें गभीर सास्कृतिक प्रेरणा भी मिली है। महात्मा जी ने राजनीति के कर्दम में अहिंसा के वृत पर जिस सत्य को जन्म दिया है वह सस्कृति की देवी का ही आसन है। अतः वापू के उज्वल जीवन की पुण्यस्मृति से सुरभित इन खादी के फूलों को हम पाठकों को इस विनीत आशा से समर्पित कर रहे हैं कि हम खादी के स्वच्छ परिधान के भीतर गाधीवाद के सस्कृत हृदय को स्पदित कर सकेंगे।

  • अतर्धान हुआ फिर देव विचर धरती पर हाय,
  • ‘हिमालय ही पल में हो गया तिरोहित
  • आज प्रार्थना से करते तृण तरु भर मर्मर,
  • हाय, आँसुओं के आँचल से ढँक नत आनन हिम किरीटिनी,
  • मौन आज तुम शीश झुकाए,
  • देख रहे क्या देव, खड़े स्वर्गोच्च शिखर पर
  • देख रहा हूँ, शुभ्र चॉदनी का सा निर्मार देव-पुत्र था निश्चय वह जन मोइन मोहन,
  • देव, अवतरण करो धरा-मन में क्षण, अनुक्षण,
  • दर्प दीप्त मनु पुत्र, देव, कहता तुमको युग मानव,
  • प्रथम अहिंसक मानव बन तुम आए हिंस्र धरा पर,
  • सूर्य किरण सतरगों की श्री करतीं वर्षण
  • राजकीय गौरव से जाता आज तुम्हारा अस्थि फूल
Language Hindi
No. of Pages176
PDF Size2.1 MB
Category
Source/Creditsarchive.org

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