जैन मंत्र ग्रंथ | Jain Tantra Shastra PDF In Hindi

जैन तंत्र शास्त्र – Jain Tantra Shastra Book/Pustak PDF Free Download

चौकी पर रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर यन्न की ख प्राण-प्रतिष्ठा करे । तदुपरान्त पत्र के ऊवर गोी पुण्यतनाथ तीर्षकर वी मूर्ति स्थापित कर, पञ्चामृत-अभिषेक से यन्त्र को पूजा कर, १०८ पुषण्यो द्वारा पूर्वोक्त थी पुष्पदवनाथ तीर्थकर के अनाहत मन्त्र का, किसी शुभ दिन में प्रातःकाल १०८ बार जप करें। प्रत्येक मन्त्र-जप के साथ एक-एक पुष्प मूर्ति के समीप रखते चने जायें। इस विधि से मन्त्र सिद्ध हो जायेगा।प्रयोग-विधि-आवश्यकता के समय

उक्त मन्त्र द्वारा १०८ बार অभिमन्त्रित-जल से मुख प्रशालन करने पर अनिन्त्य फल को प्राप्ति होती है। १०. श्री शीतलनाय तीर्थकर अनाहत सर्वपिशाववृत्ति भयनाशक मन्त्र-यन्त्र निम्ननिचित मन्न थी शीतलनाथ तीर्थकर का अनाहत मन्त्र है।

इसके प्रयोग से सब प्रकार की पिशाचवृत्ति का भय दूर होता है। मन्त्र- गमो भगवदो अरहदो शीतलस्स अनाहत बिमा विज्ारह सिज्दा-ध्रम्मे मगवदो महाविज्धार महाविज्झ शोपलस्स सियो रारिरा अपुगहि अण्णमाणमो भावदो नमो नमः स्वाहा ।”

साधन-विधि-सर्वप्रथम आगे प्रदर्शित चित्र (सख्या १०) के यन्त्र को स्वर्ण, चांदी अथवा तांबे के पत्र पर खुदवा लें। फिर एक तकड़ी की चौकी पर रेशमी वस्त्र बिछाकर, उस पर यन्त्र को रखकर प्राण-प्रतिष्ठा करे।

तदुपरान्त बन्त्र के ऊपर श्री शोतलनाय तोर्षकर की मू्ति स्थापित कर, पञ्चामृत अभिषेक ने यन्त्र की पूजा कर, १०८ पुष्पो द्वारा पूर्वोक्त थी शोतलनाय तौर्षकर के अनास्त-मन्त्र का. बिसो शुभ दिन में प्रात काल १०८ बार जर करे ।

प्रत्येक मन्त्र-जप के साथ एक-एक पुष्प मूर्ति के समीप रखते बने जाये। इस विधि मे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा| प्रयोग-विधि-आवश्यकता के समय उक्त मगर में १०८ बार साधन-विधि-सर्वप्रथम नागे प्रदशित चित्र (सख्या ११) के यन्त्र को स्वर्ण,

चाँदी अथवा तांबे के पन पर खुदवाते। फिर किसी शुभ दिन में प्रात कात एक नकदी की चौकी पर रेशमी वस्त्र विद्यापर, उस पर यन्त्र को रखकर प्राण-प्रतिष्ठा करें। तदुपरान्त यन्त्र के ऊपर श्री धयारानाम तोपकर की मूर्ति स्थापित कर,

लेखक दीक्षित राजेश-Dixit Rajesh
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 193
Pdf साइज़2.6 MB
Categoryज्योतिष(Astrology)

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