जैन कथा संग्रह | Collection Of Jain Katha PDF In Hindi

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जैन कथा संग्रह – Jain Katha PDF Free Download

जैन धर्म की कहानियाँ

किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक घोड़ा था। एक दिन वह घोड़ा अपनी रस्सी तुडाकर भाग गया। यह खबर सुनकर किसान के पड़ोसी उसके घर आए।

इस घटना पर उसके सभी पड़ोसियों ने अफ़सोस ज़ाहिर किया। सभी बोले – “यह बहुत बुरा हुआ।किसान ने जवाब दिया – ” शायद।अगले ही दिन किसान का घोड़ा वापस आ गया

अपने साथ तीन जंगली घोड़ों को भी ले आया। किसान के पड़ोसी फिर उसके घर आए और सभी ने बड़ी खुशी जाहिर की। उनकी बारतें सुनकर किसान ने कहा – “हाँ…. शायद ।

दूसरे दिन किसान का इकलौता बेटा एक जंगली घोडे की सवारी करने के प्रयास में घोड़े से गिर गया और अपनी टांग तुड़ा बैठा। किसान के पड़ोसी उसके घर प्रकट करने के लिए आए।

किसान ने उनकी बातों के जवाब में कहा – “हाँ…. शायद”।अगली सुबह सेना के अधिकारी गाँव में आए और गाँव के सभी जवान लड़कों को जबरदस्ती सेना में भरती करने के लिए ले गए।

किसान के बेटे का पैर टूटा होने की वजह से यह जाने से बच गया।पड़ोसियों ने किसान को इस बात के लिए बधाई दी। किसान बस इतना ही कहा – हाँ … शायद ।

एक जेन गुरु ने देखा कि उसके पाँच शिष्य बाज़ार से अपनी-अपनी साइकिलों पर लौट रहे हैं। जब वे साइकिलों से उतर गए तब गुरु ने उनसे पूछा तुम सय साइकिलें क्यों चलाते हो?”

पहले शिष्य ने उत्तर दिया – “मेरी साइकिल पर आलुओं का बोरा बंधा है। इससे मुझे उसे अपनी पीठ पर नहीं ढोना पड़ता।गुरु ने उससे कहा – “तुम बहुत होशियार हो।

जब तुम बूढे हो जाओगे तो तुम्हें मेरी तरह झुक कर नहीं चलना पड़ेगा।दूसरे शिष्य ने उत्तर दिया – “मुझे साइकिल चलाते समय पेड़ों और खेतों को देखना अच्छा लगता है.

बहुत समय पहले एक नगर में एक बहुत धनी सेठ रहता था। उसके पास कई मकान और सैंकड़ों खेत थे।

सेठ का इकलौता पुत्र किशोरावस्था में ही घर छोड़कर भाग गया और किसी दूसरे नगर में जाकर छोटा-मोटा काम करके जीवन गुजरने लगा।

वह बेहद गरीब हो गया था। दूसरी ओर, उसका पिता उसको सब ओर ढूंढता रहा पर उसका कोई पता नहीं चल पाया।

कई साल बीत गए और उसका पुत्र अपने पिता के बारे में भूल गया ।

एक नगर से दूसरे नगर मजदूरी करते और भटकते हुए एक दिन वह अनायास ही सेठ के घर आ गया और उसने उनसे कुछ काम माँगा।

सेठ ने अपने पुत्र को देखते ही पहचान लिया पर वह यह जानता था कि सच्चाई बता देने पर उसका बेटा लज्जित हो जाएगा और शायद फिर से घर छोड़कर चला जाए। सेठ ने अपने नौकर से कहकर अपने पुत्र को शौचालय साफ करने के काम में लगा दिया। सेठ के लड़के ने शौचालय साफ करने का काम शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद सेठ ने भी मजदूर का वेश धरकर अपने पुत्र के साथ सफाई का काम शुरू कर दिया। लड़का सेठ को पहचान नहीं पाया और धीरे-धीरे उनमें मित्रता हो गई।

वे लोग कई महीनों तक काम करते रहे और फिर एक दिन सेठ ने अपने पुत्र को सब कुछ बता दिया। वे दोनों रोते-रोते एक दूसरे के गले लग गए। अपने अतीत को भुलाकर वे सुखपूर्वक रहने लगे।

पिता ने अपने पुत्र को अपनी जमीन-जायदाद का रख-रखाव और नौकरों की देखभाल करना सिखाया।

कुछ समय बाद पिता की मृत्यु हो गई और पुत्र उसकी गद्दी पर बैठकर अपने पिता की भांति काम करने लगा। इस कहानी में पिता एक ज्ञानप्राप्त गुरु है, पुत्र उसका उत्तराधिकारी है, और नौकर वे आदमी और औरत हैं जिनका वे मार्गदर्शन करते हैं।

लेखक निशांत मिश्र-Nishant Mishra
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 210
Pdf साइज़1.1 MB
Categoryकहानियाँ(Story)

जैन कथा संग्रह – Jain Katha List PDF Free Download

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