आईटीआई इलेक्ट्रीशियन थ्योरी | ITI Electrician Theory Notes Hindi PDF

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हिंदी में आईटीआई इलेक्ट्रीशियन के लिए नोट – Note For ITI Electrician In Hindi PDF Free Download

इलेक्ट्रीशियन थ्योरी

विद्युत एक प्रकार की है और ताजा संरक्षण नियम के अनुसार इसका क्षय नहीं होता बल्कि इसे एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। तात्पर्य यह है कि विद्युत ऊर्जा को उष्मीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, चुम्बक कर्जा आदि अनेक रूपों में पदला जा सकता है।

किसी पदार्थ का वह विशेष गुण जिसके कारण वह अपने चारों और वैद्युत चुम्बकीय या वैम्बकीय प्रभावों को उत्पन्न करता है या उसका अनुभव करता है, वैद्युत आवेश कहलाता है।

किसी पदार्थ के आशित होने का तात्पर्य उस पदार्थ से इलेक्ट्रॉन की कमी या अधिकता से होता है।

यदि किसी पदार्थ में इलेक्ट्रॉनों की कमी है तो धन आवेशित और अधिकता है तो ऋण आवेशित होता है।

विद्युत की खोज सर्वप्रथम 2500 वर्ष पूर्व यूनानी वैज्ञानिक “थेल्स” ने घर्षण के द्वारा एबोनाइट की छड़ को रेशम से रगड़ कर उसके द्वारा कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करने में सफलता पाई यो तथा इसको मत लिने किया।

इस प्रकार के विद्युत का कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है; जिसे स्थैतिक विद्युत (static electricity) नाम दिया गया।

उन्नीसवीं शताब्दी में ‘बोल्टा’ नामक वैज्ञानिक ने रासायनिक अभिक्रिया द्वारा चलित विद्युत पैदा किया था जिसे चालक द्वारों के द्वारा स्थानांतरित किया जा सकता था।

यह चल विद्युत (dynamic electricity) कहलाया। इसके बाद फैराड़े ने चुम्बकीय बल रेखाओं का धात्विक चालक द्वारा लगातार छंदन करके भी चल विद्युत का उत्पादन किया। चालक में “आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।

वैधुतिक दुर्घटनाएं (Electrical Accident) :

विद्युत क्षेत्र एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है जिसमें कार्य के दौरान दुर्घटना की निरंतर संभावना बनी रहती है। जैसे—का झटका लगना या आग | विद्युत झटका लगने का कारण :

● जब सामान्यतः 90V से अधिक बोल्टेज पर हमारे शरीर के आर-पार विद्युत धारा प्रवाह स्थापित हो जाता है तो हमें एक झटके का अनुभव होता है।

विद्युत धारा-100mA उपरोक्त कारण से ही जलयानों, थलयानों एवं वायुयानों आदि में सप्लाई वोल्टेज 110 रखा जाता है।

किसी व्यक्ति को लगा झटका इस बात पर निर्भर करता है कि विद्युत धारा की कितनी मात्रा, कितने समय तक उस व्यक्ति के शरीर से प्रवाहित हुई है।

अर्थात् यदि 10mA की धारा 3-4 sec. तक प्रवाह (flow) हो जाए तो व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। विद्युत दुर्घटनाओं से बचने के लिए कार्यशालाओं में लगे सुरक्षा संकेतों का अनुपालन करना चाहिए।

प्रत्येक कार्यशाला में अग्निशामक यंत्र आवश्यक रूप से उपलब्ध होने चाहिए क्योंकि विद्युत के ‘शॉर्ट सर्किट’ अथवा अन्य किसी कारण से कार्यशाला में लगी आग की रोकथाम आवश्यक है।

आग की किस्में :

(i) श्रेणी ‘A’ आग-लकड़ी, कागज, कपड़ा, जूट आदि में लगी आग श्रेणी ‘A’ की आग कहलाती है। श्रेणी B आग—ज्वलनशील द्रवों एवं ठोसों जैसे मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोल आदि में लगी आग श्रेणी ‘B’ की आग कहलाती है।

(iii) श्रेणी ‘C’ आग— सिलिण्डर आदि में परी LPG गैस आदि में लगी आग श्रेणी की भाग होती है। (iv) श्रेणी ‘D’ आग-बिजली के तारों, उपकरणों एवं अन्य धात्विक पदार्थों में लगी आग को बुझाने के लिए CO? या CTC यंत्र का प्रयोग करते हैं। ये आग श्रेणी ‘D’ की आग है।

अग्निशामक यंत्र (Fire Extinguisher) :

यह एक ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा जलती हुई वस्तु पर द्रव, गैस या चूर्ण का छिड़काव करके आग पर काबू किया किया जा सके। ये निम्न प्रकार के होते हैं

(i) जलयुक्त अग्निशामक यंत्र : इस प्रकार के यंत्र में वायुदाब के साथ जल भरा रहता है जिसकी बौछार आग पर करने पर आग पर काबू पा सकते हैं। यह श्रेणी ‘A’ की आग बुझाने के लिए उपयुक्त है।

(ii) झाग पैदा करने वाला अग्निशामक यंत्र :

इस प्रकार के यंत्र जल की बौछार के साथ-साथ झाग भी छोड़ते हैं। इस

प्रकार के अग्निशामक यंत्र से श्रेणी ‘B’ की आग बुझाई जाती है।

(iii) शुष्क पाउडर वाला अग्निशामक यंत्र:

इस प्रकार के यंत्र में जल के स्थान पर वायुदाब के साथ अज्वलनशील चूर्ण भरा होता है।

इसका उपयोग श्रेणी ‘C’ प्रकार की बुझाने में किया जाता है।

(iv) कार्बन-डाइ-ऑक्साइड वाला अग्निशामक यंत्र : इस प्रकार के यंत्र में सोडियम बाइकार्बोनेट तथा गंधक के तनु अम्ल की रासायनिक अभिक्रिया कराकर अत्यधिक मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड *(CO2) पैदा किया जाता है जिससे लगी आग बुझ जाती है। इससे श्रेणी ‘डी’ प्रकार की आग अर्थात् वैधुतिक तारों इत्यादि में लगे आग को बुझाया जाता है।

(v) कार्बन टेट्राक्लोराइड वाला अग्निशामक यंत्र :

इस प्रकार के यंत्र में कार्बन टेटा क्लोराइड (CC)4) अथवा गोक्लोरो-डि-पलोरो मिथेन नामक द्रव वायुदाब के साथ कारा रहता है।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 168
PDF साइज़46 MB
CategoryEducation
Source/Creditsdrive.google.com

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