ईश्वर गीता | Ishwar Gita PDF In Hindi

ईश्वर गीता भावार्थ दीपिका – Ishwar Geeta PDF Free Download

ईश्वर गीता | Ishwar Gita Book/Pustak PDF Free Download

ईश्वर गीता

आई भूमि भारत के ऋषि मुनियों ने वेद में कर्म, उपासना एवं ज्ञान के अपने तीन प्रकारों द्वारा ब्रह्म की प्राप्ति का सिद्धान्त प्रतिपादित किया है।

उपनिषयों में योगाभ्यास का भी स्वस्थ रूप से उपदेश है। मनुष्य रुचि और योग्यता के अनुसार इन सम्यक साधनों का आश्रय लेकर परम पुरुषार्थ को प्राप्त करता है,

क्योंकि केर में वेदों का अन्तिम तात्पर्य समन्वित और महर्षि वेदका “समन्वयात्” इस कथन का श्रेष्ठ प्रमाण है यद्यपि उपनिषद् के रूप में वेद के उस विभाग का प्रादुर्भाव पहले ही हो चुका था,

जिसमें अनेक प्रकार से ब्रह्म का निरूपण हुआ है, और उसके जान से सुखद शान्ति की प्राप्ति बताई गई है,

तथापिका-ससे समाज में चित् आचारिक न्यूनता के प्रवेश के कारण बुद्धिवाद के इस रहस्य को समझने में एक कठिनाई उपस्थित हो गई ।

यह आवश्यक समझ गया कि इस यो ज्ञान को सरल सुबोध ढंग से व्याख्या की जाय और उसके फलस्वरूप अनेक प्रकार के गोता ग्रन्थों ने निर्माण गाया ।

इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि उपनिषद भाव की विशद व्याख्या करना जीताओं का एक मात्र उद्देश्य है ।

“गीता” शब्द के साथ प्रायः स्त्री-पपनसंज्ञा का प्रयुक्त होना ह सिद्ध करने का पर्याप्त प्रमाण है कि गीता अपने रूप में उपनिषद की विशेषता बताती है ।

वस्तु, वेदको शिरोभाग उपनिषद् के पश्चात् जब गीता ग्रन्थों की सुष्टि तो व्यवहार में वेदको भुति और गोडाओं को स्मृति संज्ञा प्राप्त हुई।

गीता ख्याति लोक में श्री मदभगवद गीता उपनिषद् की हुई है, और यही कारण कारण व्यवहार में नाम के चरण मान श्रीमद्भगवद्गीता को हो जाती है। जन साधारण में कुछ ऐसी धारणा है कि यहाँ एक गीता है,

लेखकश्री स्वामीजी महाराज-Shri Swamiji Maharaj
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ130
Pdf साइज़24.4 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

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