भारतीय दंड संहिता 1973 | Indian Penal Code 1973 In Hindi PDF

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दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 – Code of Criminal Procedure 1973 PDF Free Download

भारतीय दंड संहिता 1973

  1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 है।

(2) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है। परंतु इस संहिता के अध्याय 8, 10 और 11 से संबंधित उपबंधों से भिन्न, उपबंध-

(क) नागालैंड राज्य को :

(ख) जनजाति क्षेत्रों को

लागू नहीं होंगे, किंतु संबद्ध राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, ऐसे उपबंधों या उनमें से किसी को यथास्थिति, संपूर्ण नागालँड राज्य वा ऐसे जनजाति क्षेत्र अथवा उनके किसी भाग पर ऐसे अनुपूरक आनुषंगिक या पारिणामिक उपान्तरों सहित लागू कर सकती है जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाए।

स्पष्टीकरण- -इस धारा में जनजाति क्षेत्र से राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है जो 1972 की जनवरी के 21 वे दिन के ठीक पहले, संविधान की पष्ठ अनुसूची के पैरा 20 में यथानिर्दिष्ट असम के जनजाति क्षेत्रों में सम्मिलित थे और जो शिलांग नगरपालिका की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों से भिन्न है।

(3) यह 1974 के अप्रैल के प्रथम दिन प्रवृत्त होगा।

  1. परिभाषाएं– -इस संहिता में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो.

(क) जमानतीय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय के रूप में दिखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और “अजमानतीय अपराध में कोई अन्य अपराध अभिप्रेत है,

(ख) “आरोप के अंतर्गत, जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हो, आरोप का कोई भी शीर्ष है।

(ग) संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और संज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिनमें पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारष्ट्र के बिना गिरफ्तार कर सकता है,

(घ) परिवाद में इन महिता ने बधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्रवाई किए जाने की दृष्टि से मौलिक वा निश्चित रूप में उससे किया गया यह अभिकथन अभिप्रेत है कि किसी व्यक्ति ने, बाहे वह ज्ञात हो या भज्ञात अपराध किया है, किंतु इसके अंतर्गत पुलिस रिपोर्ट नहीं है.

स्पष्टीकरण— ऐसे किसी मामले में, जो अन्वेषण के पश्चात् किसी असंज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करता है, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई रिपोर्ट परिवाद समझी जाएगी और वह पुलिस अधिकारी जिसके द्वारा ऐसी रिपोर्ट की गई है, परिवादी समझा जाएगा:

(ङ) “उच्च न्यायालय से अभिप्रेत है,

(i) किसी राज्य के संबंध में, उस राज्य का उच्च न्यायालय;

(ii) किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में जिस पर किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार विधि द्वारा किया गया है, वह उच्च न्यायालय

(iii) किसी अन्य संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, भारत के उच्चतम न्यायालय से भिन्न उस संघ राज्यक्षेत्र के लिए दाण्डिक अपील का सर्वोच्च न्यायालय :

(च) “भारत” से वे राज्यक्षेत्र अभिप्रेत हैं जिन पर इस संहिता का विस्तार है : की जाए:

(च) “जांच” से अभिप्रेत है विचारण से भिन्न ऐसी प्रत्येक जांच जो इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा

(ज) “अन्वेषण” के अंतर्गत वे सब कार्यवाहियां हैं जो इस संहिता के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा या (मजिस्ट्रेट से भिन्न) किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया गया है, साक्ष्य एकत्र करने के लिए की जाएं:

(स) “न्यायिक कार्यवाही” के अंतर्गत कोई ऐसी कार्यवाही है जिसके अनुक्रम में साक्ष्य वैध रूप से शपथ पर लिया जाता है। या लिया जा सकता है:

(ख) किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के संबंध में “स्थानीय अधिकारिता” से वह स्थानीय क्षेत्र अभिप्रेत है जिसके भीतर ऐसा न्यायालय या मजिस्ट्रेट इस संहिता के अधीन अपनी सभी या किन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकता है ‘[और ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपूर्ण राज्य या राज्य का कोई भाग समाविष्ट हो सकता है जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करें]

(ट) महानगर क्षेत्र से वह क्षेत्र अभिप्रेत है जो धारा 8 के अधीन महानगर क्षेत्र घोषित किया गया है या घोषित समझा

(ठ) “असंज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और असंज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें गया है।

पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है;

(ट) “अधिसूचना में राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है.

(ढ) “अपराध” से कोई ऐसा कार्य या सोप अभिप्रेत है जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा दण्डनीय बना दिया गया है और इसके अंतर्गत कोई ऐसा कार्य भी है जिसके बारे में पशु अतिचार अधिनियम, 1871 (1871 का 1) की धारा 20 के अधीन परिवाद किया जा सकता है:

(ण) पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी के अंतर्गत जब पाने का भारसाधक अधिकारी पाने मे अनुपस्थित हो या बीमारी या अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो, तब थाने में उपस्थित ऐसा पुलिस अधिकारी है.

जो ऐसी अधिकारी से पंक्ति में ठीक नीचे है और कान्स्टेबल की पंक्ति से ऊपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब इस प्रकार उपस्थित कोई अन्य पुलिस अधिकारी भी है.

(ठ) “स्थान” के अंतर्गत गृह, भवन, तम्बू यान और जलवान भी है,

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 207
PDF साइज़3 MB
CategoryLaw
Source/Creditsegislative.gov.in

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