मानव विकास सूचकांक | Human Development Index PDF In Hindi

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मानव विकास सूचकांक एवं भारत – Human Development Index And India PDF Free Download

मानव विकास सूचकांक

डॉ महबूब-उल-हक और प्रो. अमर्त्य सेन घनिष्ट मित्र थे और डॉ. हक के नेतृत्व में दोनों ने आरंभिक मानव विकास प्रतिवेदन निकालने के लिए कार्य किया था।

इन दोनों दक्षिण एशियाई अर्थशास्त्रियों ने विकास के वैकल्पिक विचार का प्रतिपादन किया।

अंतर्दृष्टि और करुणा से ओत-प्रोत पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ. महबूब उल हक ने 1990 ई. में मानव विकास सूचकांक निर्मित किया।

उनके अनुसार विकास का संबंध लोगों के विकल्पों में बढ़ोतरी से है ताकि वे आत्मसम्मान के साथ दीर्घ और स्वस्थ जीवन जी सके।

1990 ई. से संयुक्तराष्ट्र विकास कार्यक्रम ने वार्षिक मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित करने के लिए जिनकी मानव विकास की संकल्पना का प्रयोग किया है।

डॉ. हक के मस्तिष्क की लोच और एक दायरे से बाहर सोचने की उनकी योग्यता उनके भाषणों में से एक भाषण से चित्रित की जा सकती है जिसमें शॉ का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा ‘आज जो वस्तुएँ हैं उन्हें देखते हो और पूछते हो क्यों? मैं उन वस्तुओं का स्वप्न लेता हूँ जो कभी नहीं थी और पूछता हूँ ये क्यों नहीं है?

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य ध्येय स्वतंत्रता में वृद्धि (अथवा परतंत्रता में कमी) के रूप में देखा। रुचिकर बात यह है कि स्वतंत्रताओं में वृद्धि भी विकास लाने वाला सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है।

उनका कार्य स्वतंत्रता की वृद्धि में सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं तथा प्रक्रियाओं की भूमिका का अन्वेषण करता है।

इन अर्थशास्त्रियों का कार्य मील का पत्थर है जो लोगों को विकास पर होने वाली किसी भी चर्चा के केंद्र में लाने में सफल हुए हैं।

प्रायः लोगों में अपने आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतंत्रता नहीं होती। यह ज्ञान प्राप्त करने की अक्षमता उनकी भौतिक निर्धनता, सामाजिक भेदभाव, संस्थाओं की अक्षमता और अन्य कारणों की वजह से हो सकता है।

इससे दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीने, शिक्षा प्राप्ति के योग्य होने और एक शिष्ट जीवन जीने के साधनों को प्राप्त करने में बाधा आती है।

लोगों के विकल्पों में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच में उनकी क्षमताओं का निर्माण करना महत्त्वपूर्ण है। यदि इन क्षेत्रों में लोगों की क्षमता नहीं है तो विकल्प भी सीमित हो जाते हैं।

उदाहरणतः एक अशिक्षित बच्चा डॉक्टर बनने का विकल्प नहीं चुन सकता क्योंकि उसका विकल्प शिक्षा के अभाव में सीमित हो गया है।

इसी प्रकार प्रायः निर्धन लोग बीमारी के लिए चिकित्सा उपचार नहीं चुन सकते क्योंकि संसाधनों के अभाव में उनका विकल्प सीमित हो जाता है।

अपने सहपाठियों के साथ पाँच मिनट के नाटक को अभिनीत कीजिए, 3 जिसमें यह दर्शाया गया हो कि किस प्रकार आय, शिक्षा अथवा स्वास्थ्य के क्षेत्रों में क्षमता के अभाव के कारण विकल्प सीमित हो जाते हैं।

मानव विकास के चार स्तंभ

जिस प्रकार किसी इमारत को स्तंभों का सहारा होता है उसी ए प्रकार मानव विकास का विचार भी समता, सतत पोषणीयता, ए उत्पादकता और सशक्तीकरण की संकल्पनाओं पर आश्रित है।

समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के संदर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए।

तब ऐसी घटनाओं के पीछे कारणों का पता लगना चाहिए। भारत में स्त्रियाँ और सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं। इससे पता चलता है कि शिक्षा तक पहुँच न होना किस प्रकार इन वर्गों के विकल्पों को सीमित करता है।

निर्वहन का अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में निरंतरता । सतत पोषणीय मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले। समस्त पर्यावरणीय वित्तीय एवं मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रख कर करना चाहिए। इन संसाधनों में से किसी भी एक का दुरुपयोग भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों को कम करेगा।

बालिकाओं का विद्यालय भेजा जाना एक अच्छा उदाहरण है। यदि एक समुदाय अपनी बालिकाओं को विद्यालय में भेजने के महत्त्व पर जोर नहीं देता तो युवा होने पर इन स्त्रियों के लिए अनेक अवसर समाप्त हो जाएँगे।

उनकी वृत्तिका के विकल्पों में तीव्रता से छँटनी हो जाएगी और यह उनके जीवन के अन्य पक्षों को भी प्रभावित करेगा। अतः प्रत्येक पीढ़ी को अपनी भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों और विकल्पों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना चाहिए।

यहाँ उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के संदर्भ में उत्पादकता है। लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की जानी चाहिए। अंततः, जन-समुदाय ही राष्ट्रों के वास्तविक धन होते हैं।

इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास अथवा उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने से उनकी कार्यक्षमता बेहतर होगी।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 8
PDF साइज़2 MB
CategoryEducation
Source/Creditsdrive.google.com

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