हिन्दू कोड बिल तथा उसका उद्देशय | Hindu Code Bil PDF In Hindi

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हिन्दू कोड बिल तथा उसका उद्देशय – Hindu Kod Bil And Their Motive PDF Free Download

हिन्दू कोड बिल

विसे के क चर पढने के लि रस विषय सम है इस विश के दिन हैं थारहा ह। ओं मे विवाह की चिक चािक बख कान है, ड ह की पशु समाज मे दाम्सथ प्रेण का ज क पाएे हुनिया के सान उपस्थित किया है, बस ५,प्रेम े लिये वार सरके समाजों के रोग है। हमारा चर्म तो बढ़ [काबा है कि स्त्रियां पराशक्ति प है।

इस महिला को] के सूट में रोने की व्यव्था हिंदू धर्म नहीं देखा। हिन्दू चर्म तो गे अग-मार्ग वीडियो है और अपने अपने मार्ग पर चलने से ही दोनों को प्ति हो सकती है ।

विस में उत्तराधिकार की जो व्यवस्था की गई है. उसके सो हमारी संयुक्त परिचार प्रणाली ही विचूर्व हो जायेगी । उत्तराधिकारी की जो व्यवस्था विजय अशास्त्रीय है और हमारे लिए बिल्कुल मई पस्तु है साथ हो.

इसमें कोई तथ्य नहीं, बिल्कुल खोखली है । आर्थिक दृष्टिकोण से भी समाज के लिये बह हितप्रद नहीं । धार्मिक विचार से तो यह चोर कोतिकारी है,

और इससे हिन्दू धर्म की मर्यादा सदा के लिये मिट जायगी गेसा अ्बा- पनीया परिवर्तन कभी भी स्वीकार्य नहीं।

यह कोड बिल पाकिस्तान के हिंदुओं पर लागू न होगा वदि भारतीय- संघ के हिन्दुओं के लिये धर्म शास्त्रों का सार संग्रह और पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिए दूसरा संग्रह बनेगा.तो इससे बहुत जटिल सामाजिक और आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

भारतीय संघ धर्म निरपेक्ष राज्य है। यदि यह कार्य किसी सम्प्रदाय के व्यक्तिगत और धार्मिक कानूनों में हस्तक्षेप करता है तो यह अपनी उद्घोषित सीमा का अतिक्रमण करता ।

यदि ऐसा राज्य धार्मिक तटस्थता का आचरण नहीं करता, तो उससे धर्म निरपेक्षता पर धक्का लगता है।

में अपना यह कर्तग्य समझूता हू कि हमारे पास जो थोडा सा समय हैं उसमें इस बिल के विभिन्‍न पहलुओं के सम्बन्ध सें इस सभा के सदस्यों को बिचार प्रकट करने का अधिक समय दू” ।

मैं भी इस विषय पर बोलना चाहंगा । ऐसः करने का एक ही मार्ग है और वह यह है कि प्रारम्भ में में यथासम्भव संक्षिप्त भाषण देकर एक उदाहरण उपस्थित करू’ |

ऐसा निर्णय करने के लिये बाध्य होने का मुझे बहुत दुः्ख है।

क्योंकि इस बिल का सेन इतना विस्तृत है कि यदि इसकी कोई पूरी तरह विवेचना करना भारस्स करे ओर वतमान हिन्दू कानून की प्रष्ठभूसि को ध्यान सें रख कर इसकी व्यवस्था करने लगे तो उसमें निसन्देह ४ या € घण्टे लग जायेंगे ।

किनत यह इस समय असम्भव है ओर इसलिए यह सभा मुझे ऋसा करेगी यदि में इसके लमक क्रेबल उन्हीं मुख्य बातों को पेश करू’ जो आज के वर्तमान कानून से मिन्‍नता प्रकट करती हें ।

श्रीसान्‌ ! यह ब्रिल, जिसका उद्देश्य हाईकोर्टो तथा श्रची कोंसिल के असंख्य निणयों में फैले हुए दिन्दू कानून के उन विषयों को श्यं खल्ाबद्ध करना है जो साधारण व्यक्ति के लिये आश्चर्यजनक मिश्रण हैं शोर जिनके फारण निरन्तर मुकदमेबाजी होती है, सात विभिन्‍न सामलों सम्बन्धी कानून को नियमबरू करने जा रहा है।

एहले इस बिल का उद्दे श्य एक उस मत हिन्दू के सम्पत्ति के अधिकारों सम्बन्धी कानून को नियमबद्ध’ करना है, जो अपना उत्तराशिकारी निश्चित किये बिना, किय्री लड़की या लड़के के नास वसीयतनासा लिखे बिना मर गया हैं।

दूसरे, यह बिल उत्तराधिकारीविहीन एक भुत व्यक्ति की सम्पत्ति के विभिन्‍न उत्तराधिकारियों में उत्तराधिकार क्रम का शुक कुछ परिवर्तित स्वरूप निर्धारित करता है।

इससे आगे इस बिल में गुजारा (सरण-पोषण), विवाह, तलाक, गोद लेचबा, नावालिगपन झोर शअ्भिभावकता के कानून पर विच्वार किया गया है।

राज्यव्यवस्थापिका इस बिल के विस्तार … तथा स्रीसा पर विचार करेगी ।

पहले उत्तराधिकार के प्रश्न को लीजिये, इस . विषय के अन्तर्गत इस बिल सें कम से कम ब्रिटिश भारत के कुछ भागों के लिये एक नया सिद्धान्त निर्धारित किया गया हैं|

राज्यव्यवस्थापिका में जितने घकील सदस्य हैं वे यह जानते हें कि डत्तराधिकार के सम्बन्ध सें दिन्दओं पर दो मभिन्‍न परहूतियां लागू होती: हैं ।

एक पछुति को “मिताक्षरा? कहते हैं और दूसरी को “दोयसागः? । दोनों पदछतियों सें एक आधारभूत सेद है.

लेखक भारत सरकार
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 224
Pdf साइज़8 MB
Categoryसरकारी(Govt)

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