हिंदी उर्दू और हिंदुस्तानी – Hindi Urdu Aur Hindustani Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
इन दोनों फरी में इड समसवार ेग हैं जो सममे की कोशिश कर रहे हैं, पर मामला अभी सुसमाने में नहीं आावा।
‘हिन्हुस्तानी एकेवेमी’ की अदालते-आलिया में यह मामला माहम सुबह सफाई से जय हो जाय तो बड़ी खुशकिस्मती की बात होगी।
इसीखिये यहाँ मामले में दोनों पहलू पेश किये जा रहे हैं। हिन्दी ऊ की एकता के पुराने हामी राजा शिणप्रसाद सितारेहिन्द की शहादत आप सुन चुके हैं।
जो लोग अरबी और फारसी का नामा पहना कर उर्दू को उबरदस्ती उसके हिन्दी या आर्व परिवार से जुड़ा करने की जदो जहर कर रहे हैं,
वह उर्दू के जबरदस्त अल्लामा स्वर्गीय मौलवी सय्यद यहीदुरीन साहब सलीम’ पानीपती (प्रोफेसर उसमानिया कालिज) की बेल्लाग राहादत और नेक सलाह कान खोलकर चरा तवजह से सुनें ‘सलीम’ साहब অपनी ‘वजे इसलाराव’ (परिभाषा-निर्माण शांस्र ) में कहते हैं
“हमारे वाश दोख उ अयान के बौर आरियाई (बनामाषा) होने का सबूत अजीब तरह देते हैं। यह बयान की किसी किताब को उठाकर उसमें से थोड़ी सी इबारत कहीं से इन्तस्त्राव कर लेते हैं और उस इवारत के अलकाड गिनवार बताते है कि देखे,
इसमें अस्थी के अलका बमुकावले फारसी और हिन्दी के ज्यादा है, हालांकि यह बात कि-दबारत में अरबी अलबम ज्यादा आयें या हिन्दी बगैच, कुछ तो मजमून की मौइ्यत (विषय- भेद) पर मौका है और कुछ लिखने वाले के त् ीलान (स्वामाविक रुचि) पर ।
मसलन् आरिया समाजियों का मशहूर र परकारा’ बो लाहोर से निकलता है, संस्कृत और भाषा के अलकाय यकसरत इस्तेमाल करता है।
‘अलहिलाल’ में, जो कसृफते से शाया (प्रकाशित) होता था, और विसके पडोटर हमारे दोस्त मौलाना अबुल कलाम थे, अरबी अलकार की भरमार होती थी।
लेखक | पद्मसिंह शर्मा-Padmasingh Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 181 |
Pdf साइज़ | 15.3 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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