हिंदी शब्द सागर | Hindi Shabdsagar PDF

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हिंदी शब्द सागर – Hindi Shabdsagar Pdf Free Download

हिंदी शब्द सागर

मानीकृत कोष में संगृहीत शब्द के उच्चारणरूप की चर्चा हुई है धधुनिक में शब्द के उष्चारखर्प की सही जानकारी कराना अत्यंत आवश्यक समझा जाता है ।

इसके अंतर्गत ध्वनियों के सही सही उच्चारण में भाषाविज्ञान के एक अंग ध्वनिग्रामविज्ञान-द्वारा बड़ी सहायता मिलती है।

नूतन उच्चारणसंकेतों के माध्यम से उच्चरित शब्द का परिशुद्ध रूप निर्दिष्ट होता है। ध्वनिलेखन के पूर्णतः शुद्ध रूप का परिचय देने के लिये ध्वनिग्रामों का विभिन्न परिवेशों और पूर्वापर ध्वनियों के संदर्भ में उच्चरित रूप का निर्धारण आज अनेक वैज्ञानिक यंत्रों के माध्यम से किया जाता है।

ध्वनियों के सूक्ष्मतर अ र सूदमतम वैशिष्ट्य का बोध कराने में इन यंत्रों का विशेष योगदान है। इनके द्वारा अक्षरों पर पड़नेवाले स्वराघात की बलात्मक न्यूनाधिकता और प्रारोहावरोहात्मक चढ़ाव उतार भी यंत्रों से पूर्ण रूप में परिजात हो जाते हैं।

तदनुसार निर्मित उच्चारण-वैशिष्ट्य-बोधक संकेतचिह्नों के द्वारा कोश के शब्द का विमुद्ध उच्चारणरूप अंकित होता है । कहने की आवश्यकता नहीं कि भाषाविज्ञान की इस क्षेत्र में नई नई उपलब्धियों और आविष्कृतियों से कोशरचना का कार्य पुष्ट हो रहा है।

भारत में पाश्चात्य कोशों और कोशकारों के संपर्क और प्रभाव से आधुनिक ढंग के कोशों का निर्माण प्रचलित पौर विकसित हुआ ।

हिंदी के आधुनिक कोशों की [चचा] की जा चुकी है। प्रथम संस्करण की भूमिका में भी इसका सिंहावलोकन किया गया है।

इन्हें देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि पहले के हिंदी कांगों में प्रबम वा पादरी- आदम’ का हिंदी कोश जो १८२९ में ‘कलकत्ता से छपा । इसके पूर्व के कोश पाश्चात्यों द्वारा पाश्चारय लिपि और भाषा के माध्यम से बने।

प्रदत्त काम न देनां। ( २) घबंरा जानो । श्रकल उंडानार-( १ ) हैरात करना। (२ ) त्रस्त करना। श्रक्‍ष्ल उलटी होना > ( १) मूर्ख या नासममझ होना। ( २) कुछ का कुछ समझतना। अकक्‍ल श्रोंधी होना ८ दे० ‘अकक्‍ल उल्टी होना । अक्‍ल का अ्रधा– अत्यंत मृखे ।

श्रक्ल का काम न करना — समभ में न झ्ता। कतंव्य-ज्ञान-शून्य होता । उ०- महरी, हुजूर श्रकल नहीं काम करती ।–फिसाना०, भ० ३, १० १। श्रक्‍्ल का चवकर में श्राना —

( १) घबराना । (२) विस्मित होना। झ्रकल का चरने जाना ८ ( १) समझ जाती रहुतग। (२) बदहवास होना। भ्रक्ल का चिराग गुल होना ८ समझ में फर्क भाता । अ्रक्‍ल का दुश्मन- भ्रत्यंत मूर्ख ।

बुद्धिविरोधी काम करनेवाला । अकक्‍ल का पुतला बहुत बुद्धिमान या ज्ञानी । उ०– बस, सारी बात यह है कि यह लं.ग श्रक्‍ल के पुतले हैं। कोई शे दुनियाँ के पर्दे पर ऐसी नहीं जिससे यह वाक्फिन हों ।–

फिसाना०, भा० ३, प० १७। श्रक्ल का प्रा- बुद्ध । मू्खे , ( व्यंग्य ) । श्रव्ल का मारा ज बहुत है! मर्ख। श्रवल की कोताही – बुद्धिहीनता । मूखेंता ।

श्रक्‍्ल की मार -बेवक्‌फी । अ्क्‍्ल के घोड़े दोड़ाता 5 ( १ ) बहुत सोचना या विचार करना । (२ ) खयाली पुलाव पकाना। श्रक्‍ल के तोते उड़ना– होश ठिकाने न रहना ।

घबरा जाना। अकक्‍ल के पीछे लद॒ठ लिए फिरना — बुद्धि विरोधी काम करता ।

श्रक्‍ल के बखिए उधेड़ना अ्रवल गवा देना । अ्क्‍ल के होश उड़ना- दे० अ्रबल के तोते’ उड़ना! | उ०– और मुकाम बुलंद इस कदर कि अक्ल के होश उड़ते हैं |/–फिसाना०, भा० ३, पृ० २१३। अ्रक्‍्ल को

रोना — नासमझी पर अ्रफसोस बरना। उ5०–भ्रक्ल को तो

हुस्तश्र।रा रो चुकी” |–फिसाना०, #।० ३, पृ० ३२०। झ्क्‍ल खर्च करना ८ सोचने समझन की कोश्शि करना। झअवल गम होना >- हैं शहवाश जाते रहना। झबल गही में होना -बेब्कूफ या कमगअ्रवल होना।

श्रक्‍्ल छू जाना » थांडी सी समझ होना. श्रबल जाती रहना 5 दे० ‘४क्ल जाना । झपल जाना ८(१) समभ न रहना। (२ ) घबरा जाना। अझवल ठिकाने रहना ८ हंशहवास दुस्स्त हृं।ता। 5उ5०–शभ्ब मैं, उसका सम्भाऊं कि बहन अकल ठिकाने विसकी है ।+-

फिसाना०, भः० ३, पृु० ३२० | झवल ठिकाने न रहना -हं.श दुरुस्त न रहना । अवल ठीक करना८- शक्ति या तीति दढ्ूरा बिसी का गवे तंड़ता। अवल दंग होना ८ दे” ‘अरब्ल हैशन होना। उ०– बेगम श्रकल दंग है। —

फिसाना०, भा० हे, पृ० ५। ग्रक्ल देना > सीख देता समक्ाना बुभाना। श्रदल दोड़ता ८सोच विचार करना। जुगत बेठ ना । अक्‍ल पर फाड़ फेंरना–

नासमभी का व्यवहार करना । श्क्‍ल पर पत्थर पड़ना – निहापर पर्दा पड़ना — समभ जाती

रहना । 3०–प्ृछा जो. उनसे भापका पर्दा वो दया हु श्रा, कहने लगी कि अकक्‍ल प मर्दों क॑ पड़ गया।–कविता कौ ०, भा० ४ पृ० ६४१। पझ्क्‍ल सिड़ाना- दे” अदल दौड़ाना’। प्रक्‍ल सारी जाना ८ बद्धि का बेकार होना ।

अबल रफ़्चक्क्र होनाझबल वा काम न करना । श्रक्‍्ल लड़ाना ८ दे० अक्ल दौड़।

लेखक श्याम सुंदरदास-Shyam Sundardas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 595
Pdf साइज़98.7 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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