संपूर्ण हस्त रेखा ज्ञान | Hast Rekha PDF In Hindi

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हस्त रेखा ज्ञान इन हिंदी विथ फोटो – Hast Rekha PDF Free Download

संपूर्ण हस्त रेखा ज्ञान चित्र सहित

इसके सिरे पर छोटी-छोटी हड्डियों से निर्मित उँगलिया होती हैं । इस क्षेत्र को ‘मेटाटारसस’ भी कहा जाता है । यह पूरा क्षेत्र, इस पर निर्मित प्रत्येक रेखा, बारीक जाल, सन्तु, उभरा

और दना हुआ भाग तथा उँगलियों की केश-सूक्ष्म-रेखाएँ भी हमारे अध्ययन फा विषय हैं, अत: हथेली का अध्ययन करते समय पूरी सावधानी बरतना परमावश्यक है ।

त्वचा-हथेली की त्वचा, लचक और रंग, निर्णय तक पहुँचाने में काफी सहायता प्रदान करते है। आप किसी का भी हाथ ज्योंही अपने हाथ में लेते हैं, आपका पहला अनुभव स्पशत्मिक होता है |

त्वचा व्यक्ति की नैर्मागक प्रवृत्ति बताने में सक्षम होती है। यदि हाथ कर्कश, भारी और कठोर हो तो आप एक ऐसे व्यक्ति के सामने जो पाशविक वृत्तियों से प्रभावित है; उसका जीवन आदिम सवेगों से संचालित है।

उसके व्यवहार, कार्य और चरित्र में भी एक प्रकार का तथा ये वे व्यक्ति होते हैं, जीवन-यापन के लिए कठोर परिश्रम करते हैं; संवेदनाओं की अपेक्षा मूल सम्कारों से अधिक बँधे हुए होते हैं ।

इसके विपरीत कुछ व्यक्तियों को हथेलियां नर्म, लचकदार और लालिमा लिये हुए होती हैं । ऐसे व्यक्ति पूर्णत: आत्मकेन्द्रित होते हैं । जीवन के कठोर समर्थों का गुनादिला करने से ये घबराते हैं।

कल्पना के क्षेत्र में विचरण करने वाले ये लोग शारीरिक श्रम की अपेक्षा मान सिक श्रम में ही ज्यादा विश्वास करते हैं। ये जीवन में ऐश्वयंना चाहते हैं; इनकी अभिरुचि उनत होती है, पर ये कठोर थम नही कर सकते |

कुछ वचाएँ इन दोनों का सम्मिश्रण-सा लिये हुए होती हैं, जो न अधिक कठोर होती है, और न अधिक लचीली और नर्म। ऐसे व्यक्ति जीवन में सफलता के सन्निकट कहे जा सकते हैं।

इनमें व्यावहारिकता एवं कल्पनाशीलता का अद्भुत सम्मिश्रण होता है। जीवन के प्र क्षेत्र में ये सफलता के द्वार पर दस्तक देने में प्रवृत्त रहते हैं।

हस्तरेखा-विशेषज्ञ को वेबल पंडित ही नहों होना चाहिये, अपितु उसका व्यवहार एक मित्र और सलाहहार फे भूनुधार होना चाहिये ।

अशुभ के प्रति सचेत करते हुए भी मंगल एवं शुभ के प्रति आश्वान्वित भी करिये ! संमाबिित विपृत्तियों की जानका री देते हुए (उसके साहस एवं क्षमताओं को थी उजागर करिये |

उसे मात्र भाग्य बादी ही न बनाएँ, अधितु कर्मक्षेत्र में संघघरत बयमे योग्य उसका , । निर्माण करिये ! यही आपकी सरुलता है, आपकी विज्वेषता है ।

अन्त मे, जबक्षि हथ हथेजी और रेखाओं का शान प्राप्त करने की दिशा में बढ़े, कुछ ऐसी बातें है, जिनका पालन करना हमारे लिए आवश्यक है।

अपने लनु भव के आधार पर मैं कुछ ऐसे बिन्दु प्रस्तुत कर रहा है, बिनका पालन पाठफों की सफतता के लिए वावश्यक है ॥

(१) कभी भी उतावली में या बिना सौचे-सममे तुरन्त ही कोई भी निर्णय न दें। क्षिसी भी एक चिह्म को देखकर तुरन्त फलाफ़ल , कह देना शुभ नहीं, बयोकि कोई भी केला चिह्न पूरी हपेली का अतिनिधित्व नहीं करता ।

हयेती का स्वोगेण अ्रध्ययन करके ही फलादेश कहना विज्ञान-सम्मत है |

(३) ययासम्भव दिरोधाभास से बचें। कभो-कभी हाथ में एक ही तथ्य को उजागर करने वाली शुभ और अशुभ दोनों ही रेजाएँ दिखाई देती हैं। ऐसी स्थिति में उस रेखा का उदगग गौर उप्तकी सहायक रेखाओं का अध्ययन करके ही फलादेश कहना उचित है ।

(३) यदि हाथ की रेखाओं में बुरे तथ्य दिद्धाई हे रहे हों तो उन्हें भी चौंकाने वाले ढंग से त कहिये, बयोकि इससे सामने दाले पर मनोवेमानिक रूप रो घुरा असर पड़ता है; थदि कमजोर हृदस , का व्यक्ति दो, तो उत्तके लिए अप्रिय सूचना सह पाना भी कंदिल होता है।

ऐसे तथ्य कहने गे पूर्व हस्तरेाविद्‌ को चाहिए कि बहू बीरे-घीरे सपमनैवाले को तैयार करे, उसका मात्र हृढ़ें करे और किर उत्ते दढ़े, साय ही यह आश्वासन भी दे कि यदि

न्याधफि प्रकृत रहीं, तो यह अधिय तथ्य टच भी सकता हैं, अथवा इस प्रभाव स्यूत भो हो सकता है ।

झिसी एक्राघ पुस्तक को परदकर ही अपने-थापको पंडित गत समझिये ! रेयायों का सिद्धास्त समझने येः बाय-साथ उसका व्यावडारिक शाय भी परमावश्यक है। बाजार में जो इस वियय में पुस्तकें उपलब्ध हू, उनमें से भुके कोई भी पुस्तक प्रामाणिक नजर नहीं जाती |

अधिकतर ऐसी पुत्तवं या तो अनुवादमात्र हैं, अयवा पाश्वात्य ज्योजिविदें का पिप्टपेषण |

न तो वे परिभ्रम से अध्ययन थौर अजुभव करते है, और न ही मनुभव को लेखनी से व्यक्त करते हैं।

कीरो, सेंट जारमन, बेग्यम, नोएल पेक्विन आई हस्तरेंख्रा-विशेषज्ञों फी पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं, परन्तु इनमे से भी कोई पुर्णतया प्रामाणिक नही, अनुभय का अभाव इनमें भ दृष्टिगेषर झेता है ।

मैंदे जीवन में हजारों यही साथों हाथ देखे हैं, बाथों हाथों फे प्रिदों का अध्ययन किया है; इसमें स्वदेश तथा विदेश राभी जगह के व्यक्ति हैं, तया समाज के सभी स्तर एवं श्रेयों के’ लोगी के हाथ देखने कग शधसर गिला है, ओर समस-धमय पर मैंने जो मविष्य्राणियाँ की है, वे शत-प्रतिशत द्वी उतरी है।

पाठक देखेंगे कि अन्य पुस्तकों की अवैक्षा इस पुस्तक में कुछ नवीनता है, व्यावहारिक शान का अनुभव इसमे विद्यमान है, ओर विषय का विवेचन वैज्ञानिक पददि पर करके दिपय को बोधगम्य वनाने की ओर प्रयत्त किया है ।

लेखक नारायणदन्त श्री माली – Narayan Dutt Shrimali
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 216
PDF साइज़ 3.1 MB
Category ज्योतिष(Astrology)

हस्त रेखा चित्र सहित – Hast Rekha With Photo PDF Free Download

1 thought on “संपूर्ण हस्त रेखा ज्ञान | Hast Rekha PDF In Hindi”

  1. बहुत ही सुंदर ढंग से विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है जो कि बहुत ही ज्ञानवर्धक है। आपने जिस मेहनत से ये जानकारी उपलब्ध करवाई है, astrology आपकी इसके लिए दिल की गहराइयों से प्रशंसा करता है। बहुत ही सराहनीय प्रयास

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