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भारत का संविधान हस्तलिखित नोट्स – Constitution Of India Handwritten Notes PDF Free Download
संविधान नोट्स
परंतु इस स्पष्टीकरण में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक [सन् ‘[2026] के पश्चात् की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह [[2001]] की जनगणना के प्रति निर्देश है।]
प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर प्रत्येक राज्य की विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन का ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से पुन: समायोजन किया जाएगा जो संसद् विधि द्वारा अवधारित करे
परंतु ऐसे पुन: समायोजन से विधान सभा में प्रतिनिधित्व पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जब तक उस समय विद्यमान विधान सभा का विघटन नहीं हो जाता है:
परंतु यह और कि ऐसा पुन: समायोजन उस तारीख से प्रभावी होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे और ऐसे पुनः समायोजन के प्रभावी होने तक विधान सभा के लिए कोई निर्वाचन उन प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के आधार पर हो सकेगा जो ऐसे पुन: समायोजन के पहले विद्यमान है:
परंतु यह और भी कि जब तक सन् * [ 2026] के पश्चात् की गई पहली जनगणना के सुसंगत अकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक [इस खंड के अधीन –
(i) प्रत्येक राज्य की विधान सभा में 1971 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित स्थानों की कुल संख्या का और
(ii) ऐसे राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन जो 2001 की जनगणना के आधार.
विधान परिषद् वाले राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के [एक-तिहाई] से अधिक नहीं होगी:
परंतु किसी राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या किसी भी दशा में चालीस से कम नहीं होगी।
(2) जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक किसी राज्य की विधान परिषद् की संरचना खंड (3) में उपबंधित रोति से होगी।
(3) किसी राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या का
(क) यथाशक्य निकटतम एक-तिहाई भाग उस राज्य की नगरपालिकाओं, जिला बोडों और अन्य ऐसे स्थानीय प्राधिकारियों के, जो संसद् विधि द्वारा विनिर्दिष्ट करे, सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडलों द्वारा निर्वाचित होगा:
(ख) यथाशक्य निकटतम बारहवां भाग उस राज्य में निवास करने वाले ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडलों द्वारा निर्वाचित होगा, जो भारत के राज्यक्षेत्र में किसी विश्वविद्यालय के कम से कम तीन वर्ष से स्नातक हैं
या जिनके पास कम से कम तीन वर्ष से ऐसी अर्हताएं हैं जो संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि या उसके अधीन ऐसे किसी विश्वविद्यालय के स्नातक की अर्हताओं के समतुल्य विहित की गई ह.
(ग) यथाशक्य निकटतम बारहवां भाग ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडलों द्वारा निर्वाचित होगा जो राज्य के भीतर माध्यमिक पाठशालाओं से अनिम्न स्तर की ऐसी शिक्षा संस्थाओं में जो संसद्द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित को पढ़ाने के काम में कम से कम तीन वर्ष से लगे हुए है.
(घ) यथाशक्य निकटतम एक तिहाई भाग राज्य को विधान सभा के सदस्यों द्वारा व्यक्तियों में से निर्मात होगा जो विधान सभा के सदस्य नहा.
(ङ) शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा खंड (5) के उपबंधों के अनुसार नामनिर्देशित किए जाएंगे।
(4) खंड (3) के उपखंड (क), उपखंड (ख) और उपखंड (ग) के अधीन निर्वाचित होने वाले सदस्य ऐसे प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में चुने जाएंगे, जो संसद् द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किए जाएं तथा उक्त उपखंडों के और उक्त खंड के उपखंड
(घ) के अधीन निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होंगे।
(5) राज्यपाल द्वारा खंड (3) के उपखंड (ङ) के अधीन नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें निम्नलिखित विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है, अर्थात्:
साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा।
(1) प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधान सभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से [पांच वर्ष] तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और ‘[ पांच वर्ष] की उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम विधान सभा का विघटन होगा:
परंतु उक्त अवधि को, जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, तब संसद् विधि द्वारा ऐसी अवधि के लिए बढ़ा सकेगी, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और उदघोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात् किसी भी दशा में उसका विस्तार छह मास की अवधि से अधिक नहीं होगा।
(2) राज्य की विधान परिषद् का विघटन नहीं होगा, किंतु उसके सदस्यों में से यथासंभव निकटतम एक तिहाई सदस्य संसद् द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त बनाए गए उपबंधों के अनुसार, प्रत्येक द्वितीय वर्ष की समाप्ति पर यथाशक्य शीघ्र निवृत्त हो जाएंगे।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 28 |
PDF साइज़ | 12 MB |
Category | Education |
Source/Credits | drive.google.com |
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