हैमलेट कहानी – Hamlet Play Pdf Free Download
अनुवादक के शब्द
‘हैमलेट’ के पद्य-गद्यानुवाद को पुस्तक रूप में प्रस्तुत करते हुए मैं वडी प्रसन्नता, वडे सतोष, और सिर से एक बड़े भार के उतर जाने की राहत का अनुभव कर रहा हूँ । इस राहत को थोड़ा स्पष्ट करना होगा।
मुझे अपने पाठको को गायद ही यह बतलाने की आवश्यकता हो कि शेक्सपियर के नाटको के अनुवाद की शृंखला में यह तीसरा नाटक है जो मैं उनके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
पहला ‘मैकवेथ’ था, जो १९५७ मे प्रकाशित हुआ था, श्रीरा दूसरा ‘ओथेलो’, जो १९५६ मे । ‘हैमलेट’ प्राय एक दशक बाद प्रकाशित हो रहा है, और लगभग इतना ही समय इसके अनुवाद मे लगा भी है ।
‘मैकवेय’ का अनुवाद एक वर्ष में, और ‘ओथेलो’ का प्राय: दो वर्ष मे मैंने पूरा कर दिया था । ‘हैमलेट’ को अनूदित करने मे मुझे दस वरस लग गए । ‘हैमलेट’ ने मुझे वडा परेशान किया ।
१९६० मे जव ‘मैकवेथ’ का दूसरा सस्करणप्रकाशित हुआ था, तभी मैने उसकी ‘प्रवेशिका’ मे अपने पाठको को यह सूचना दे दी थी कि “मैंने ‘हैमलेट’ का अनुवाद हिंदी ब्लैक वर्स मे ‘मैकवेथ’ और ‘प्रोथेलो’ की पद्धति पर प्रारम्भ कर दिया है, जो यथासमय आपके हाथो मे पहुँचेगा ।”
‘यथासमय’ का अर्थ होगा एक दशक इसकी कल्पना न मैने की थी प्रौर न मेरे पाठको ने । इस बीच मेरे बहुत-से पाठक मुझसे पूछते रहे कि ‘हैमलेट’ का क्या हुआ ?
और मैं उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर न दे पाता था ।
वहुतो ने तो यह आशा भी छोड़ दी थी कि मैं इसे पूरा भी कर पाऊँगा – शायद मेरा उत्साह शेक्सपियर के नाटको के प्रति समाप्त हो गया है, शायद मैं और कामो में लग गया हूँ, क्योकि यह तो सच है कि दस वरस तक लगातार ‘हैमलेट’ पर काम
मै यह स्वीकार करूंगा कि ‘हैमलेट’ से हार मान लेने की स्थिति के बहुत निकट मै पहुँच चुका था । १९५९ मे जब मैंने ‘हैमलेट’ को अनुदित करना आरम किया तो मुझे ‘वरटिंगो’ की बीमारी हो गई-बैठे से उठता, नीचे झुकता या सिर ऊपर उठाता तो एकदम चक्कर श्रा जाता, आँखो के आगे अँधेरा छा जाता ।
तेजी जी को सदेह हुआ, शायद यह हैमलेट से अपने को एकात्म करने का परिणाम है। काम छोड दिया गया, दवा-दरमत शुरू हुई । कुछ दिनो वाद ठीक हो गया।
कुछ और तरह का लिखना-पढना होता रहा। तीन वर्ष बाद उस अधूरे काम ने फिर मुझे वेचैनी से याद किया।
अभी कुछ ही दिन मैने उस पर काम किया होगा – कभी-कभी तो दस-बारह घंटे लगातार कुर्सी पर बैठ कर – कि मुझे हर्निया की तकलीफ हो गई, जिसका थ्रॉपरेशन कराना पडा; काम तो छूट ही गया, अपना पुराना स्वास्थ्य प्राप्त करने में भी लगभग दो वर्ष लग गए ।
कुछ और कामो से फुरसत मिली तो फिर ‘हैमलेट’ की याद ने मुझे मारी हो पौ देख बमूचा योक मगन हो, फिर भी मन को हम विवेक से साथ रहे हैं : उनके गम में हम सतुलन नही खो सकते, पाखिर हमें ध्यान अपना भी तो रखना है। इस कारण सुख-दुख समान पलटो पर परकर,
एक आँख में खुशी, एक मे रज बसाकर, मातम से शादी और शादी से मातम की गांठ जोडकर, एक तरह से दबे हृदय से, हमने अपनी पहले-की भाभी रानी से व्याह कर लिया, और हमारे साथ पाज ये इस रण-उन्मुख राज्य, राज्य के सिंहासन की मान्य स्वामिनी ।
आपकी शुभ सलाह से भी हम वचित नही रहे है, इस प्रसग में खुले हृदय से आप हमारे साथ रहे है। हम इन सबके लिए पापले प्राभारी है। अब जो कहना है, उसका है पता प्रापको फ़ोटिनवरास-पुत्र ने हमको निवल समझकर,
या विचार कर कि हमारे स्वर्गीय वधु के उठ जाने से राज्य हमारा प्रसगठित हो बिखर गया है, जिसका लाभ उठा सकता वह, हमको सदेसे पर सदेसे भेजे हैं। जिनमे कहा गया है हम वह सारी धरती
दापस कर दें जिसको उसका पिता हमारे पराक्रमी भाई के हायो, पातं बांधकर, हार चुका था। इसके बारे में इतना हो । अब मैं पाता हूँ उसपर जिसलिए मिले हम, श्री’ जो कुछ हमको करना है। यह खत है जो उसके चचा, नारबे को हम भेज रहे हैं जो रोगी, कमजोर,
खाट से लगा हुआा है.और भजन का मानना से बैटरी है शिवह उसे समझाए भाग मत बढने द जिसनी मना प्रौ जितना सामान घर कर उस प्रजा में दिलवाना है यहाँ निता है। द नारवे वो यह अभिवादन देन को, याय पारनीनियस तुम्ह भो वाल्टिमाइ को जाना होगा।
लेखक | william shakespeare |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 178 |
Pdf साइज़ | 2.9 MB |
Category | Drama |
हैमलेट कहानी – Hamlet Story Book Pdf Free Download