गुरु नानक जी की जनम साखी | Guru Nanak Ji Ki Janam Sakhi PDF

गुरु नानक जी की जनम साखी – Guru Nanak Ji Ki Janam Sakhi Book/Pustak Pdf Free Download

यह दोनों गुरु नानक जी के साथ रहा करते थे इन्हों ने गुरु लीला देखी है। आप उनको निमंत्रण दें। यह आप को गुरु कथा सम्पूर्ण सुनायेंगे।

यह सुन कर गुरु अंगद देव जी ने बाले का ध्यान किया। उस समय भाई बाला अपने नगर तलवंडी में बैठा था तथा गुरु नानक देव जी की कथा सिखों को सुना रहा था।

अचानक बाले ने उन श्रोताओं से पूण कि हे गुरु जी के प्यारे सिखो! गुरु जी तो बैकुंठ लोक को पधार गये हैं तो अपनी गद्दी पर किस को नियत कर गये हैं?

तब एक प्रेमी ने कहा कि मैंने सुना है कि गुरु जी अपने स्थान पर एक अंगद नाम के त्रिहण क्षत्री को जो फेरु जी का सुपुत्र है नियत कर गए हैं।

जब भाई बाला ने यह सुना तो हृदय में गुरु जी के उत्तराधिकारी गुरु अंगद जी के दर्शनों की लालसा उत्पन्न हुई तथा भाई बाला खडूर की ओर रवाना हुआ तथा श्रद्धा पूर्वक भेंट लेकर गुरु दर्शनों को चल दिया।

गुरु अंगद देव जी एकांत वास कर रहे थे। बाला पूछता हुआ गुरु जी के निकट उपस्थित हुआ। गुरु अंगद देव जी ध्यान अवस्था में थे। गुरु जी के चरणों में भाई बाले ने नमस्कार किया। गुरु जी ने बाले को उचित स्थान पर बैठने का संकेत किया।

फिर गुरु जी बाले के साथ वार्तालाप करने लगे। गुरु जी बोले, हे सज्जन! आप कहां से आ रहे हो और अपने आने का कारण तथा अपना पूर्ण परिचय दो।बाला कहने लगा- हे गुरु देव! मैं जाति का जाट हूं मेरा गोत्र सन्धू है तथा राय भोय तलवंडी का रहने वाला हूं।

मेरा नाम बाला है तथा आप के दर्शनों को उपस्थित हुवा हूँ। उत्तर में गुरु जी ने कहा कि आप का गुरु कौन है? नेत्रो में प्रेम आंसू भर कर बाले ने कहा कि मेरे पूज्य गुरु देव श्री कालू वेदी जी के सुपुत्र बद्धास्पद गुरु नानक देव जी महाराज है।

लेखक
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ629
Pdf साइज़121.8 MB
Categoryकहानियाँ(Story)

गुरु नानक जी की जनम साखी – Guru Nanak Ji Ki Janam Sakhi Book/Pustak Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!