गुरु ग्रन्थ साहिब जीवन युक्ति | Guru Granth Sahib Jeevan Yukti Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
गुरु ग्रंथ साहिब में विशेष शीर्षक बाणियां
गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज बाणी की तरतीब कुछ इस प्रकार है।
1 जपु गुरु ग्रंथ साहिब का आरम्भ ‘जपु’ बाणी से होता है तथा यह नितनेम की बाणी है। यह बाणी गुरु नानक पातशाह द्वारा रचित है। इस बाणी की 38 पडुड़िया व 2 सलोक हैं।
- सो दर- ‘सो दर’ का शब्द गुरु ग्रंथ साहिब में तीन बार अंकित किया गया है। इस बाणी का मूल भाव प्रभु के घर की महिमा का वर्णन है।
- 3. सो पुरखु यह पांच पदों की रचना है तथा इसमें परमात्मा के गुणों का सम्पूर्ण
- तौर पर वर्णन किया है।
- सोहिला गुरु ग्रंथ साहिब में यह बाणी अंग 12 पर अंकित है तथा यह सिक्य के नितनेम की बाणी है। इस बाणी में महला १, महला ४ व महला ५ की बाणी दर्ज है।
- वणजारा – गुरु राम दास जी द्वारा रचित बाणी ‘वणजारा’ गुरु ग्रंथ साहिब के सिरी रागु में अंग 80 पर अंकित है।
- करहले – यह रचना गुरु राम दास जी की है जो कि गुरु ग्रंथ साहिब के अंग 234 पर दर्ज हैं।
- सुखमनी यह गुरु अर्जन पातशाह की एक बड़े आकार की बाणी है। इसकी 24 पडुड़िया व 24 असटपदियां है। यह गुरु ग्रंथ साहिब के अंग 262 पर गजुड़ी राग में दर्ज है।
- बिरहड़े गुरु अर्जन देव जी द्वारा रचित यह बाणी आसा रोग में गुरु ग्रंथ
- साहिब के अंग 431 पर सुशोभित है।
- अलाहणीआ इस शीर्षक के अधीन गुरु नानक पातशाह व गुरु अमरदास जी की बाणी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है।
- कुचजी इस शीर्षक के नीचे गुरु नानक पातशाह द्वारा रचित केवल 16 पक्तियां हैं। यह रचना गुरु ग्रंथ साहिब में सूही राग में अंग 762 पर अंकित है।
- सुचजी गुरु ग्रंथ साहिब के सूही राग में सुशोभित यह रचना गुरु नानक साहिब की है।’
लेखक | गुरु ग्रन्थ साहिब-Guru Granth Sahib |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 49 |
Pdf साइज़ | 1.6 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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