साइबर सुरक्षा | Cyber Security PDF In Hindi

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साइबर सुरक्षा – Cyber Security In Hindi Book PDF Free Download

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Cyber Security In Hindi PDF

साइबर धोखाधड़ी में हर गुजरते साल में भारी वृद्धि देखी गई है, क्योंकि बैंकिंग प्रणाली और भुगतान तंत्र ऑनलाइन तरीके में स्थानांतरित हो गए हैं, जागरूकता की कमी के कारण मामलों में तेजी आई है।

स्टेटिस्टा की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल दर 2021 में लगभग 45 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2007 में केवल चार प्रतिशत थी। हालांकि ये आंकड़े अपेक्षाकृत कम लगते हैं।

सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में भारत दुनिया में दूसरा स्थान रखता है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के अनुसार भारत में लगभग 800 मिलियन से अधिक सक्रिय मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और प्रति उपयोगकर्ता औसत मासिक डेटा खपत लगभग 13 जीबी है। भारत में दुनिया में सबसे सस्ती इंटरनेट डेटा सेवाएं भी हैं।

1 जीबी डेटा की कीमत भारत में लगभग ₹ 6.75 है, जबकि यूएस में औसत $8 और यूके में $1.4 है। कुछ सर्वेक्षण कंपनियों ने 10 देशों ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम (यूके) और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) में 10,000 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण किया।

इनमें से 1,000 वयस्क भारत के थे। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 12 महीनों में 27 मिलियन भारतीय वयस्क पहचान की चोरी ( Identity theft) के शिकार हुए हैं और देश में 52% वयस्क नहीं जानते कि साइबर अपराध से खुद को कैसे बचाया जाए।

साइबर सुरक्षा का महत्व
उन्नत तकनीकों ने आधुनिक जीवन शैली को बदल दिया है। इंटरनेट हमें कई लाभ प्रदान करता है। चाहे वह दोस्तों के साथ संवाद करना हो, सूचनाओं की खोज करना हो, ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठाते हुए बैंकिंग लेनदेन करना हो, नौकरी ढूंढना हो, जीवनसाथी की तलाश करना हो या |

यहां तक कि पूरे व्यवसाय को चलाना हो इंटरनेट हमारे जीवन के लगभग सभी पहलुओं को छूता । हालाँकि, यह हमें कई तरह के खतरों के प्रति संवेदनशील भी बनाता है।

इंटरनेट पर नियमित रूप से नए और शक्तिशाली साइबर हमले हो रहे हैं। हमारे डिजिटल जीवन को प्रबंधित करने में एक छोटी सी चूक साइबर अपराधियों के लिए द्वार खोल सकती है।

साइबर अपराधी हमारा पैसा चुरा सकते हैं या हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक प्रमुख उद्योग अनुसंधान संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, सभी साइबर हमलों में से 90% मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं।

इसलिए साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता आज सभी के लिए जरूरी है। साइबर खतरों के जोखिम को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करते समय हमें सतर्क रहना चाहिए।

सोशल इन्जिनियरिंग फर्जीवाड़ा
सी.वी.वी./ओ.टी.पी. शेयरिंग फर्जीवाड़ा

साइबर अपराधी बैंक व भारतीय रिजर्व बैंक अधिकारी बन कर लोगों को फोन करते हैं और उनसे कहते हैं कि उनका ए.टी.एम. कार्ड ब्लॉक हो गया है या उनका के वाई. सी. अपडेट नहीं है या उनका आधार बैंक खाते से जुड़ा नहीं है और इसलिए उनका खाता ब्लॉक किया जाएगा।

फिर आधार को बैंक खाते से जोड़ने, के.वाई.सी. अपडेट कराने, या नया ए.टी.एम. कार्ड शुरू करने के बहाने उनसे उनके खाते से जुड़े गोपनीय जानकारी जैसे ए.टी.एम. नंबर. सी.वी. वी. नंबर, ओ.टी.पी. इत्यादि जानकारी प्राप्त कर लेते हैं जैसे ही ये जानकारी साइबर अपराधियों को मिलती है वे संबंधित व्यक्ति के खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

यू.पी.आई. फिशिंग फर्जीवाड़ा

साइबर अपराधी बैंकिंग या अन्य ई-कॉमर्स की समस्या को सुलझाने के बहाने पीड़ित के बैंक के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर से अल्फान्यूमेरिक लिंक को किसी खास नंबर (अलग-अलग बैंक पर निर्भर) पर फॉरवर्ड करवा लेते हैं और एक बार लिंक फॉरवर्ड होने के पश्चात् सिम बाईन्डिग को दरकिनार कर पीड़ित के खाते से संबंधित यू.पी.आई. वॉलेट अपने मोबाइल में इंस्टॉल कर लेते हैं।

इस प्रकार पीड़ित के मोबाइल नंबर से जुड़े खातों तक पहुंच बना पैसे की अवैध निकासी कर लेते हैं।

ओ.एल.एक्स. / ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के जरिए फर्जीवाड़ा

साइबर अपराधी ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे-ओ.एल.एक्स., क्विकर, फेसबुक इत्यादि का प्रयोग वस्तुओं का आकर्षक मूल्य रख फर्जी विज्ञापन के माध्यम से साइबर ठगी का कार्य करते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति इनकी खरीददारी हेतु उनसे संपर्क करता है तो वे पैकेजिंग चार्ज, रजिस्ट्रेशन चार्ज, ट्रांसपोटेशन चार्ज, टैक्स इत्यादि के बहाने अग्रिम राशि की मांग करते हैं।

व्यक्ति इसे वास्तविक विज्ञापन समझ अग्रिम पैसों की भुगतान कर देते हैं और साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं। साइबर अपराधी कभी खुद ग्राहक बनकर वस्तुओं को इन ई-कॉमर्स वेबसाइट बेचने वाले से भी पैसा ठग लेते हैं।

इस अपराध शैली में वे मालिक को अग्रिम राशि का भुगतान करने हेतु क्रेडिट लिंक / क्यूआर कोड भेजने के बजाय डेबिट लिंक / क्यूआर कोड भेजते हैं एवं इसे स्कैन या क्लिक करने के पश्चात् पीड़ित के खाते से पैसे की निकासी हो जाती है।

Language Hindi
No. of Pages44
PDF Size2 MB
CategoryGovernment
Source/Creditsharyanapolice.gov.in

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