भक्तमाल नाभादास – Bhaktmal Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
श्रीराधावल्लभो जयतु ॥ श्रीराधाकान्त वृन्दीवनविहारी के ऋरण- कमलों को कोटानकोट दण्डवत् हैं जिनकी अपार महिमा को शेष व शारदा, ब्रह्मा, शिव, वेद, पुराण, देवता व दैत्य वर्णन नहीं
करसके व स्वरूप जिनका मन बुद्धि आदि इन्द्रियन के विचार व समझ से बाहर है प्राप्तरहने ऐसी प्रभुता व ईश्वरताके भी करुणा व दयालुता इसभांति पर है कि जब कवहीं भक्कन को दुःख हुआ
तब अनेक प्रकार के अव तार धारण करने में विलम्ब व लज्जा न करी व तुरन्त दुःख दूर किये व ऐसे परमपवित्र चरित्र जगत् में फैलाये कि जिनका कीर्तन करके कैसा ही अधम व पातकी होवे
वह भी संसारसमुद्र से उतरजाताहै और यह विशेषता उन्हीं के नहीं कि जो उत्तम कुल व विद्या कला करके युक् होयँ किन्तु ऐसे असाधुकुल व नीच राक्षस दैत्यादि जो सर्व प्रकार लोक
वेद की रीति से बाहर व सब विद्या कला आदि से शून्य व अनधिकारी थे उन चरित्रों को गायकर ऐसे स्थान को पहुँचे कि जहां योगियों का मन भी न जायसके पशु पक्षी जैसे ऋक्ष,
वानर, गज, ग्राह, गीध आदि को वह उत्तमगति प्राप्त हुई जिसको ऋषि मुनि नहीं पहुँचते भगवत्नात्र जन्म मरण के दुःख दूर करनेको परम औषध है और नहीं कहाजाता है कि नाम ईश्वर का बड़ा कि ईश्वर बड़ा है
परन्तु ध्यान करना चाहिये कि यद्यपि किसीके स्वरूप का ज्ञानहै और नाम याद नहीं तो किसी प्रकार विना नामनिर्देश उसका ज्ञान नहीं करसका और यद्यपि किसी जैसे यह कि किसी को बुलाना है
तो यद्यपि वह समीप भी है तथापि बेनाम नहीं बुला सका व नाम का ज्ञान है तो दूर भी है तो पुकारने से तुरन्त आ सकता है अब विचार लेना चाहिये कि बड़ा किसको है इसके ब्रह्म के दो स्वरूप हैं
लेखक | प्रताप सिंह-Pratap Singh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 468 |
Pdf साइज़ | 132.5 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
श्री भक्त माल भक्ति सुधा स्वाद | Shri Bhakt Mal Bhakti Sudha Swad
भक्तमाल अर्थात भक्त कल्पद्रुम – Bhaktmal Book/Pustak Pdf Free Download
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