मधुमक्खी पालन | Beekeeping PDF In Hindi

‘मधुमक्खी पालन की सम्पूर्ण जानकारी’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Entrepreneurship Development through Beekeeping’ using the download button.

मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन – Beekeeping And Management PDF Free Download

मधुमक्खी उछेर की जानकारी

मधुमक्खी पालन गाँव के किसानों के लिए एक सहयोगी उद्योग है। यह एक ऐसा उद्योग है. जो किसान को खेती के साथ साथ बिना विशेष प्रयत्न किए हुए अतिरिक्त आय दे सकती है। मधुमक्खी पालन कोई नया उद्योग नहीं है। यह बहुत पहले से खादी ग्रामोद्योग आयोग के कार्यकाल से है।

खादी बोर्ड जो राज्य की इकाई हुआ करती थी राज्य सरकार द्वारा उसके माध्यम से देशी मधुमक्खी जिसे एपिस सरेना इण्डिका कहते हैं के बक्से बाँटे गए थे 1982 तक इस देशी मधुमक्खी बक्से से और देशी मधुमक्खी से मधु का उत्पादन बहुत ही लोकप्रिय था।

हालांकि इटालियन मधुमक्खी की तुलना में उसकी उत्पादन क्षमता बहुत ही कम होती है लेकिन अतिरिक्त कोई भी प्रयास नहीं करना पड़ता था इसलिए बहुत ही लोकप्रिय था।

1982 में एक वायरस डिजीज आया और पूरे राज्य की मधुमक्खियाँ मर गई। उसके बाद से लगाव घट गया।

मधु उत्पादन से कई लाभ हैं। इसपर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। अभी तक लोगों के मन में एक धारणा है कि मधु केवल एक दवा के रूप में उपयोगी चीज है।

आज के दिन भी मधु का जो उपयोग हो रहा है, उसमें 80 प्रतिशत दवा के रूप में उपयोग हो रहा है।

लेकिन मधु के वैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों ने यह साबित किया है कि मधु अपने आप में पूर्ण भोजन है, क्योंकि उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 70-80 प्रतिशत है उसमें जो मिठास है वो ग्लुकोज है. सुक्रोज है, फुक्टोज है। एक किलोग्राम मधु अगर आप लेते हैं तो उससे 3000 कैलोरी उर्जा प्राप्त कर सकते हैं।

एक चम्मच अगर आप मधु लेते हैं तो 100 कैलोरी उर्जा उससे प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोटीन की मात्रा उसमें 1-2 प्रतिशत है और न केवल प्रोटीन बल्कि 18 तरह के अमीनो एसिड भी हैं जो उत्तकों के निर्माण एवं हमारे

हमारे शरीर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कई तरह के विटामिन, जैसे बी-1, बी-2 बी एवं सी. आपको मधु से मिलते हैं। 11 तरह के मिनरल आपको मधु में मिलते है उसमें पोटाशियम, कैल्सियम, मैग्नेसियन, आयरन आदि प्रमुख है।

एन्ज़ाइम कई तरह के मिलते हैं और सबसे खासियत है कि यह एक ऐसा भोजन है जिसे पचाने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि मधुमक्खी फूल से उसे लिया और उपापचय के द्वारा उसको पंचायत मधु के रूप में उसको इकट्ठा किया है।

जब आप मधु लेते है तो पावन क्रिया की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। उसको पचाये बस सीधे रक्त में यो चला जाता है। छोटा बच्चा वृद्ध एवं बीमार कोई भी व्यक्ति इसको ले सकता है।

मधु रक्त वर्धक, रक्त शोधक तथा आयुवर्धक अमृत है। आयुर्वेद में मधु को योगवाही कहा जाता है। की दृष्टि से 200 ग्राम शहद 1.135 कि. ग्रा. दूध 340 ग्राम सॉस, 425 ग्राम मछली एवं 10 अहे के बराबर है।

भारतीय मधुमक्खीश से 10 से 20 कि.ग्रा. मधु तथा एक इटालियन मधु से 100 किया एक श वर्ष में प्राप्त किया जा सकता है।

फसल की पैदावार में वृद्धि

मधुमक्खी फूलों पर भ्रमण एवं परागण करते हैं। इस विशेषता के कारण सब्जियों, फलों तथा तिलहन फसलों में भारी वृद्धि करते हैं।

एक फूल से दूसरे फूल पर तीव्रता से बार-बार आता जाता है, इससे उसके पैरों तथा पंखों में सटे परागकण द्वारा अधिक से अधिक फूलों में परागण होता है। अधिक संख्या में परागण होने से अधिक बीज बनते हैं जिससे अधिक फसल होती है।

दवा के रूप में इसकी महत्ता है ही, इसकी जो प्रकृति है, इसमें जो अम्लता है, अमीनो एसीड के कारण या फिर विटामिन सी के कारण और जो हाइपर कॉस्मेटिकल प्रोफ्ट में अतिप्रसारण की जो प्रकृति है उसके कारण इसकी एक एंटीबाइटिक महत्व है। कटे या जले के स्थान पर इसको लगाते है।

आद्रता को सुखाने की क्षमता है। चेहरे या त्वचा की लेनाई बचाये रखने के लिए लवणता बचाए रखने के लिए भी इसका उपयोग भी किया जाता है। दवा के रूप में आँखों में तो आप देखे ही होंगे कि बूढ़े लोग आँख की स्वच्छता के लिए मधु को ड्राप के रूप में डालते हैं।

एक तो सीधे दवा के रूप में मधु दूसरा जो भी आयुर्वेदिक दवा है उसके माध्यम के रूप में मधु का उपयोग करते हैं। खास कर सर्दी, खाँसी, जुकाम या बहुत तेज बुखार में या पेट से जुड़ी बीमारियों में जो भी दवाएँ आयुर्वेद की दी जाती है तो उसमें एक माध्यम के रूप में मधु का उपयोग करते हैं।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 8
PDF साइज़2 MB
CategoryEducation
Source/Creditsicar.gov.in

Alternate PDF Free Download

मधुमक्खी पालन की सम्पूर्ण जानकारी – Beekeeping PDF Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!