अरिहंत सामान्य विज्ञान | Arihant General Science PDF In Hindi

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अरिहंत सामान्य विज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं – Arihant General Science PDF Free Download

न्यूटन के गति विषयक नियम (Newton’s Law of Motion)

वस्तुओं की गति को न करने वाले को आजैक न्यूटन ने वर्ष 1687 ई. में अपनी पुस्तक प्रिंसिपिया में स्थापित किया था। इन नियमों से बल की यथार्थ परिभाषा मिलती है तथा आरोपित बल व वस्तु की गति की अवस्था के बीच मात्रात्मक सम्बन्ध प्राप्त होता है।

• न्यूटन का प्रथम नियम (Newton’s First Law): प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था अथवा सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगे अर्थात् सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में किसी परिवर्तन का विरोध करती है।

वस्तुओं की अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करने की प्रकृति को जड़त्व कहते हैं। गति विषयक न्यूटन के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

जड़त्व (Inertia): कोई भी वस्तु अपनी गति की अवस्था एवं विराम अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी चल न लगे। के इसी गुण को जड़त्व कहते हैं।

• किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व को नाप होता है अर्थात् वस्तुओं में जदुत्व का गुण उतना अधिक होता है, जितना उसका द्रव्यमान अधिक होगा।

• न्यूटन का दूसरा नियम (Newton’s Second Law): “किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर लगाए गए बल के आनुपातिक होता है और यह इसी दिशा में होता है, जिसमें बल कार्य करता है।” न्यूटन की गति का दूसरा नियम बल तथा त्वरण इन्हीं दोनों राशियों को एक-दूसरे के साथ तथा मात्रात्मक विधि से सम्बन्धित होता है।

• यदि बल न्यूटन (बल या SI मात्रक) द्रव्यमान (m) किलोग्राम तथा त्वरण (8) मीटर प्रति सेकेण्ड (m) तो द्वितीय नियमानुसार F=ma

• न्यूटन का तीसरा नियम (Newton’s Third Law) किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके बराबर परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया जोती है।

• घर्षण (Friction): जब कोई वस्तु किसी उस पर फिसलती है, तो उसकी गति की विपरीत दिशा में एक प्रतिरोधी बल कार्य करता है, इस बल को घर्षण बल कहते हैं।

• घर्षण बल तीन प्रकार के होते हैं-1. स्वैतिक घर्षण बल, 2. सर्प घर्षण चल तथा 3. लोटनिक घर्षण बला

● जब किसी वस्तु को किसी सतह पर खिसकाने के लिए बल लगाया जाए और यदि वस्तु अपने स्थान से नहीं खिसके तो ऐसी दोनों सतहों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को स्वैतिक घर्षण बल कहते हैं।

• जब कोई वस्तु किसी सतह पर सरकती है, तो सरकने वाली वस्तु तथा उस

सतह के बीच लगने वाला घर्षण बल सर्प घर्षण बल कहलाता है।

• जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती है, तो इन दोनों वस्तुओं के सतहों के बीच लगने वाला बल लोटनिक घर्षण बल कहलाता है।

• दो सतहों के मध्य लगने वाला घर्षण बल उनके क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता बल्कि सतहों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

• लोटनिक घर्षण बल का मान सबसे कम और स्थैतिक घर्षण बल का मान सबसे अधिक होता है।

• बल (Force): जो वस्तुओं की विरामावस्था या समरूप गत्यावस्था में परिवर्तन कर दे अथवा परिवर्तन लाने की क्षमता रखता हो, बल कहलाता है। बल का SI मात्रक न्यूटन है।

• अपकेन्द्री बल (Centrifugal Force): जिस बल के कारण गतिशील वस्तु में केन्द्र से दूर जाने की प्रवृत्ति रहती है, उसे अपकेन्द्री बल कहते हैं।

• अभिकेन्द्री बल (Centripetal Force): वृताकार पथ में केन्द्र की ओर लगने वाले वल को अभिकेन्द्री बल कहते हैं। इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है।

• मौत के कुएँ में कुएँ की दीवार पर मोटर साइकिल चलाना अभिकेन्द्री बल का उदाहरण है? क्योंकि कुएँ की दीवार मोटरसाइकिल पर अन्दर की ओर क्रिया बल लगाती है.

न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton’s law of Universal Gravitation):

ब्रह्मांड में प्रत्येक पिण्ड दूसरे पिण्ड को अपनी स और आकर्षित करता है। अतः “किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला यह आकर्षण बल उन पिण्डों के द्रव्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती |

लेखक अरिहंत
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 89
PDF साइज़10 MB
CategoryEducation
Source/Creditsdrive.google.com

अरिहंत सामान्य विज्ञान – Arihant General Science For Competitive Exams PDF Free Download

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