अनुभूत योग संग्रह – Anubhut Yog Sangrah Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
एक वार के सेवनोपरान्त ही स्वाध्याय के हेतु प्रेरित करेगी.।शरीर को स्फूर्त, हृदय को उल्लसित, और मस्तिष्क को गतिवान बनाती है।भूख को बढ़ाती है, पाचन शक्ति प्रबल करके भोजन को रक्त के रूप में परिणित कर देती है।
जीवन के लिए अमृत, स्वास्थ्य के लिए महोदधि,और मस्तिष्क के लिए ईश्वरीय देन है । सतर्कता पूर्वक हृदयाङ्कित कर लीजिए कि यदि आपका मन व्याकुल रहता है, तो आपको शान्ति प्रदान करने वाली एकमात्र औपधि ‘मस्तिष्क-रक्षक है ।
यदि आप शीघ्र ही किसी बात को भूल जाते हैं, तो ‘मस्तिष्क रक्षक’ का सेवन नितान्त आवश्यक है।यदि आप पूर्णतः सफल मनोरथ होना चाहते हैं, तो आपके लिए ‘मस्तिष्क-रक्षक’ से बढ़कर कोई औषधि नहीं । ‘मस्तिष्क-रक्षक मनुष्य मात्र के लिए उपयोगी है।
उत्तम मस्तिष्क ही संसार की श्रेष्ठतम सम्पत्ति है। ‘मस्तिष्क रक्षक’ ही आपको उस सम्पत्ति से माला-माल कर सकती है । विद्यार्थियों, वकीलों, सम्पादकों, व्याख्यान दाताओं तथा अध्यापकों के लिए बड़े काम की वस्तु पानी जलने के बाद श्वेत रंग की जो वस्तु रह जायगी, यही त्रिफला चार हैं ।
पूर्वोक्त योग में इसी क्षार को मिश्रित किया जाता है । इसे आप स्वयं वना लें (३) रजत भस्म की निर्माण-विधि शुद्ध रजत-पत्र १ तोला, पीपला मूल गंठिया २४ तोला, अनार दाना ५ तोला, आक के पत्तों का जल यथावश्यक ।
सर्व प्रथम = तो० पीपलामूल बारीक पीस कर याक के पत्तों के रस में गूधकर चटनी के समान नाले और उसके बीच में चाँदी के पत्र रख कर लपेट दें।
तथा उसके ऊपर ५ तो० अनारदाना की चटनी बनाकर लपेट दें । सारांश यह कि पीपला मूल के ऊपर दूसरा लेप आनारदाने का करदें । अब उस पर कपड़ा लपेट कर ३ सेर उपलों के बीच में निर्वात स्थान पर रख कर आग लगादें ।
लेखक | अमोलकचंद्र शुक्ल-Amolakchandra Shukla |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 332 |
Pdf साइज़ | 12 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
अनुभूत योग संग्रह – Anubhut Yog Sangrah bhag-2 Book/Pustak Pdf Free Download