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भारतीय संविधान एवं भारतीय राजव्यवस्था – Indian Constitution And Indian Polity PDF Free Download
भारतीय राजव्यवस्था
राज्य क्या है? (What is State?)
राजव्यवस्था से जुड़ी सबसे प्राथमिक अवधारणा ‘राज्य’ (State) है। राज्य शब्द का प्रयोग यूँ तो विभिन्न प्रांतों (Provinces), जैसे- उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आदि को सूचित करने के लिये भी होता है.
किंतु इसका वास्तविक अर्थ किसी प्रांत से न होकर किसी समाज को राजनीतिक संरचना (Political Structure) से होता है। वस्तुतः यह एक अमूर्त (Abstract) अवधारणा है अर्थात् इसे बौद्धिक स्तर पर समझा तो जा सकता है. किंतु देखा नहीं जा सकता।
उदाहरण के लिये भारत को सरकार, संसद, न्यायपालिका, राज्यों की सरकारें, नौकरशाही से जुड़े सभी अधिकारी इत्यादि को समग्र संरचना ही राज्य कहलाती है।
किसी समाज के विकसित व सक्षम होने की पहचान इस बात से भी होती है कि वह एक स्वतंत्र राज्य के रूप में विकसित हो सका है या नहीं?
विश्व के अधिकांश विकसित देशों में एक स्थिर राजनीतिक प्रणाली का दिखाई देना (जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया में) और स्थिर राजनीतिक प्रणाली से वंचित देशों (जैसे कुछ समय पहले के अफगानिस्तान) में विकास प्रक्रिया का अवरुद्ध हो जाना इसी बात का प्रमाण है।
ऐसी प्रणाली विकसित हो गई. जिसे गठबंधनीय व्यवस्था (Two Coalitions System) कहा जाने लगा। अभी भी भारत में यही व्यवस्था चल रही है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA- National Democratic Alliance) तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA- United Progressive Alliance) इस व्यवस्था शामिल सबसे महत्त्वपूर्ण दो गठबंधन हैं।
इस नए का लाभ यह है कि इसमें द्विदलीय प्रणाली वाली स्थिरता भी विद्यमान है और देश के भाषायी, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक वैविध्य को अभिव्यक्ति देने वाली बहुदलीय प्रणाली के लाभ भी शामिल है।
ब्रिटेन की संवैधानिक योजना (British Constitutional Scheme)
भारतीय संविधान और राजनीतिक व्यवस्था पर सबसे ज्यादा प्रभाव ब्रिटिश राजनीतिक प्रणाली का है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि लंबे समय तक ब्रिटेन के अधीन रहने के कारण हमारे स्वाधीनता संघर्ष के नेताओं को ब्रिटिश राजनीतिक प्रणाली के लक्षणों से परिचित होने का पर्याप्त अवसर मिला था। संक्षेप में ब्रिटिश राजनीतिक प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार है
• ब्रिटिश शासन प्रणाली संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy) पर आधारित है। 1688 ई. से पहले ब्रिटेन में राजतंत्र (Monarchy) चल रहा था, किंतु 1688 ई. में हुई गौरवमयी क्रांति (Glorious Revolution) ने राजतंत्र को हटाकर संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना कर दी।
इसका अर्थ है कि आजकल ब्रिटेन में राजा के पास नाममात्र की शक्ति है, जबकि वास्तविक शक्तियाँ संविधान के अंतर्गत काम करने वाली संस्थाओं जैसे संसद के पास आ गई है।
यह उरूर है कि ब्रिटिश व्यवस्था में अभी भी राजतंत्र (Monarchy) और कुलीनतन (Aristocracy) के कुछ लक्षण बचे हुए हैं.
जैसे राजमुकुट (Crown) को सस्था तथा लॉर्ड्स सभा (House of Lorda) की निरंतरता। • ब्रिटेन का लोकतंत्र संसदीय प्रणाली (Parliamentary system) पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि कार्यपालिका (Executive) का गठन विधायिका (Legislature) अर्थात् ब्रिटिश संसद के सदस्यों में से ही होता है।
चूँकि संसदीय व्यवस्था का जन्म ब्रिटिश संसद से ही हुआ था इसलिये संसदीय प्रणाली को वेस्टमिस्टर (Westminster) प्रणाली भी कहा जाता है। है कि ‘वेस्टमिस्टर लंदन का वह स्थान जहाँ ब्रिटिश संसद भवन स्थित है।
• ब्रिटेन का संविधान अलिखित संविधान (Unwrittes Constitution) है। इसका अर्थ यह है कि यहाँ औपचारिक रूप से गठित किसी संविधान सभा (Comiritient assemia) ने कोई ऐसा अकला दस्तावेज तैयार नहीं किया है.
जिसे ब्रिटिश सविधान की संज्ञा दी जा सक ब्रिटेन में संविधान विकसित हुआ है जिसका कुछ हिस्सा लोकविधियों (Cantimon [Laws) कुछ संवैधानिक परंपराओं (Constitutional Conventices) कुछ न्यायालय निर्णयों (Canc laws) तथा कुछ संसद के अधिनियम (Parliamentary Acts) पर है।
• ब्रिटेन की संसद अत्यधिक शक्तिशाली मूलकारण धान का अलिखित होना है। ट्रक संविधान संसद की शक्ति पर कोई नियंत्रण लागू नहीं करता इसलिये ब्रिटेन की संसद विधि निर्माण को साधारण प्रक्रिया से हो संविधान को है।
यही कारण है कि ब्रिटिश संविधान का सुन्याची विधान (Flexible Constitution) भी कहा जाता है। ब्रिटिश संसद की शक्तियों पर टिक गए एक प्रसिद्ध विवि ने कहा है कि “ब्रिटिश संसद ऐसा कोई भी कार्य कर सकती है प्रकृतिक दृष्टि से असंभव न हो।”
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 13 |
PDF साइज़ | 5 MB |
Category | Education |
Source/Credits | drive.google.com |
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