झारखंड का इतिहास | History of Jharkhand State PDF In Hindi

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झारखण्ड का प्राचीन इतिहास – History of Jharkhand PDF Free Download

झारखंड का इतिहास नोट्स

प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान काल तक झारखंड का इतिहास एवं संस्कृति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, महाभारत के ‘दिग्विजय पर्व’ में झारखंड को ‘पशुभूमि’ और एक अन्य नाम ‘पूंडरीक’ देश से भी संबोधित किया गया है.

झारखंड के इतिहास व संस्कृति के निर्माण में जनजातीय समाज का अमूल्य योगदान रहा है, यद्यपि झारखंड के इतिहास से यह पता चलता है कि अभी भी अनेक जानकारियाँ या तथ्य उद्घाटित होना बाकी है,

प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक झारखंड की मानवीय संस्कृति और सभ्यता के विकास से संबंधित प्रागैतिहासिक स्रोतों की अधिकता पाई जाती है. झारखंड के संदर्भ में प्रस्तुत पुरातात्त्विक और साहित्यिक दोनों प्रकार के स्रोत का विवरण उपलब्ध है।

पुरातात्त्विक स्रोत (Archeological Source)

उपकरणों की प्राप्ति से लगाया जाता है। झारखंड क्षेत्र में पुरातात्त्विक उपकरण में विभिन्न प्रकार के ताम्र औतार, आभूषण, पुरातात्त्विक स्रोत का तात्पर्य झारखंड क्षेत्र में वर्तमान से लगभग 1 लाख वर्ष पूर्व पुरापाषाणकालीन साक्ष्यों के रूप में पत्थर के औजार, सेल्ट, सिक्के, मूर्तियाँ आदि मिले हैं। इन उपकरणों की प्राप्ति झारखंड के विभिन्न जिलों से हुई है। पुरातात्त्विक स्रोत को पूर्व पाषाण युग, मध्य पाषाण युग, एवं नव पाषाण युग के अनुसार विभाजित गया है

पुरापाषाणकालीन स्थान (Paleolithic Location)

• 1865 में बोकारो से हरा अभ्रकीय स्फतिक हस्तकुठार प्राप्त किया गया।

• हज़ारीबाग जिले में विभिन्न पुरातात्त्विक स्थलों जिनमें बाँदा क्षेत्र से हस्तकुठार, रामगढ़ में पुरापाषाण काल के औजार, करहरबरी और बरगुंडा में तांबा निर्मित वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं।

• पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में अमाईनगर हजारीबाग के उपायुक्त कार्यालय पर 14 अगस्त को यूनियन जैक को उतारकर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया।

• जपला मजदूर संघ के राष्ट्रीय सचिव मिथिलेश कुमार सिन्हा की प्रेरणा से जपला फैक्ट्री के मजदूरों ने हड़ताल रखी।

11 अगस्त को पलामू में एक जूलुस निकाला गया।

• 11 अगस्त को देवघर में पंडित विनोदानंद झा के नेतृत्व में जूलुस निकाला गया। देवघर अनुमंडल के संरक्षण में ही समानांतर सरकार की स्थापना की गई।

छोटानागपुर क्षेत्र में 1942 के आंदोलन के दौरान 373 व्यक्ति नजरबंद और 13879 व्यक्ति गिरफ्तार किये गए। साथ ही 538 व्यक्ति मारे गए थे।

• राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं को हजारीबाग जेल में लाकर रखा गया था। इस जेल से जयप्रकाश नारायण 9 नवंबर, 1942 की रात अपने पाँच साथियों रामानंद मिश्र, योगेंद्र शुक्ल आदि के साथ भागने में सफल हो गए।

गोड्डा कचहरी पर राष्ट्रीय झंडा 13 अगस्त को फहराया गया। संथाल परगना में सबसे सक्रिय आंदोलनकारी प्रफुल्लचंद्र पटनायक थे। पहाड़ियाँ लोगों का नेतृत्व इन्होंने किया। इनके आंदोलन का मुख्यालय डांगपारा था।

• इस घटना के उपरांत रामनारायण सिंह, कृष्णवल्लभ सहाय तथा सुखलाल सिंह को हटाकर भागलपुर जेल में ले जाया गया।

• प्रफुल्लचंद्र पटनायक और उनके तीन साथियों पर ब्रिटिश हुकुमत ने ₹200 का इनाम घोषित किया।

संभवत: 22 अगस्त को रांची से वाचस्पति त्रिपाठी की गिरफ्तारी इस आंदोलन की अंतिम गिरफ्तारी थी।

30 सितंबर को आंदोलनकारियों द्वारा मान बाजार थाने पर आक्रमण किया गया। इस आंदोलन में चूनाराम महतो एवं गिरीशलाल महतो की मृत्यु पुलिस की गोली से हो गई जबकि गोविंद महतो एवं हेम महतो चायल हो गए।

• रामानंद तिवारी के नेतृत्व में जमशेदपुर में

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण तथ्य

विष्णुपुराण में झारखंड को मुंड एवं भगवत पुराण में ‘किक्कट’ प्रदेश कहा गया है।

बहारिस्तान ए गैंगो के लेखक मिर्जा नाथन ने इस क्षेत्र को ‘कुकरा देश’ कहा है।

• रगुंडा और करहरबरी से तांबा से निर्मित सामग्री की प्राप्ति हुई है।

• पुरातात्त्विक खोजों में झारखंड में अनेक असुर क्षेत्र मिले हैं, जहाँ उनके मृतकों के कब्र भी पाए गए हैं।

● हजारीबाग के बारहगंडा में तांबों के खानों के अवशेष मिले हैं।

• झारखंड में लौह युग का प्रारंभ 2000 से 1000 ई.पू. के मध्य होता है।

• झारखंड में असुरों के निवास के चिह्न के साथ लीह अवशेष पाए गए हैं।

• नवपाषाण युग मुख्य रूप से बाह्य उत्पादक युग के रूप में जाना जाता है।

• चाईबासा में नवपाषाण काल के रोरो नदी के किनारे अनेक हथियार मिले हैं, जिनमें चाकुओं की प्रधानता है।

• ऋग्वेद में झारखंड को ‘ककिटानाम दशाअनार्य’ के नाम से जाना जाता है।

• सिंहभूम के खबर जनजाति की चर्चा ऐतरेय ब्राह्मण में है। बिरसा मुंडा द्वारा झारखंड में जनजाति राज्य निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ को गई। सुतिया पाहन को सुडाओं का शासक चुना गया।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 18
PDF साइज़7 MB
CategoryHistory
Source/Creditsdrive.google.com

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