विदुर नीति – Vidur Niti Book Pdf Free Download
महाभारत विदुर नीति
लोगों की दृष्टि में समाज की परिस्थितियों से अनभिज्ञ इन प्रतिभासम्पन्न कवि ने अपने समग्र काव्य में जैसे सजीव चित्रण किये हैं, उनसे आपकी नैसर्गिक प्रतिभा एवं ईश्वरीय कृपा का ही अनुभव होता है ।
अतः इनसे अपरिचित व्यक्तियों को इनके बाल्यकालीन दृष्टिराहित्य पर संदेह होना स्वाभाविक है । पर भगवद् कृपा से आप को सब साध्य है, जिसका प्रस्तुत काव्य में भलीभाँति गान किया गया है ।
कवि के जीवन में नारी जगत के दो नाते अनुभूत हो सके हैं, माँ तथा बहिन का, जिस नाते का परिचय इस काव्य के दो वर्णनों से प्राप्त होता है । प्रथम श्रीकृष्ण एवं द्रौपदी संवाद में ।
भ्राता एवं भगिनी का परम पवित्र, भावग्राही, सुमधुर तथा निस्वार्थ नाते को कवि ने जिस भावुकता, कुशलता, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक मर्यादा के परमपावन परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है,
सत्य ही यह वर्णन कवि के स्वानुभव का तो प्रमाणभूत है ही, पर साथ ही साथ इसे विश्व के साहित्य में एक नवीनतम रूप में देखा जा सकता है।
द्रौपदी श्रीकृष्ण की छोटी बहिन, अपने केशों के लज्जा का भार अपने भैय्या कन्हैया पर अर्पित करती है। उधर श्रीकृष्ण भी बहिन को श्रद्धा की मूर्ति मानकर, इस नाते को सर्वतो विशिष्ट बताते हैं ।
क्या यह कवि का मधुर हृदयाकर्षक मनोवैज्ञानिक वर्णन भावी संतति को निर्मल प्रेरणा का स्रोत नहीं बनेगा ?वैसे ही विदुर पत्नी सुलभा को श्रीकृष्ण के द्वारा काकी का मंजुल संबोधन दिलाकर एवं पुत्रहीना
उस महिला के शुष्क मरुमानस में वात्सल्य रस तरंगिणी का प्रस्तुतीकरण, कवि के व्यक्तित्व में भावुकता का संकेत करता है तथा साथ ही साथ श्रीकृष्ण द्वारा उनके भावपूर्ण अर्पित किये हुए कदली छिलके कास हुए
लेखक | रामानंदाचार्य स्वामी-Ramanandacharya Swami |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 43 |
Pdf साइज़ | 2.8 MB |
Category | उपन्यास(Novel) |
विदुर नीति – Vidur Neeti Book Pdf Free Download