स्वामी रामतीर्थ | Swami Ramtirth PDF In Hindi

स्वामी रामतीर्थ – Swami Ramtirth Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

मधुर मुसकान से सब झगड़ों को शान्त कर देते थे, मत मतान्तर सम्बन्धी भक्ति प्रज्वलित नहीं होने देते थे।

धर्म महोत्सव के तीसरे दिन कुछ अदूरदर्शी किताबों के कारण धर्म सम्बन्धों मत मतान्तर की अझि प्रज्वलित हो गई थी कई ईसाई पादरियों ने धर्म महोत्सव के नियमों को भङ्ग करके हिन्दू धर्म पर बड़े बड़े बाप किये थे ।

हिन्दुओं के आराध्य देव और पूजनीय संस्थाओं के सम्बन्ध में बड़े कटु शब्द कहे थे।

सारी सभा में पादरियों के आक्षेप सुनकर शोक और क्रोध की मात्रा बड़ी हुई थी सच पूछिये तो और कोई समा पति होता तो सभा में अवश्य दङ्गा हो जाता।

क्योंकि मथुरा के हिन्दू विशेषतः चौथे और पदों में सहिष्णुता बहुत कम होती है फिर जब भगवान् ध रृष्णयन्द्र के सम्बन्ध में मिथ्या और जघन्य आक्षेप किये गये तब वहां वालों को कोध आना स्वाभाविक ही था ।

परन्तु स्वामी जी ने बड़ी शांति पूर्वक इस झगड़े को निबटाया था।

मुझे स्मरण आता है कि जब पादरी र्काट अपना बह निबन्ध पढ़ चुकते थे, जिसमें वेदों पर आक्षेप थे तब स्वरमी रामती्धं जी खड़े हुये ।

उनके खड़े होते ही सारी सभा करतल ध्वनि से गूंज उठी,

लोगों को आशा हुई कि अथ म्वामी जी भी पादरी स्काट को भांति ईाइयों के धार्मिक प्रन्ध चाई विल की या उड़ावेंगे ।

पर वहां तो बात ही दूसरी निकली। भला राम बादशाह ने कभी किसी का बण्डन करना कट शब्द कह कर किसी का जी खाना, सीखा कहां था ।

मुझो उनकी उस वक्त ता का पूरा स्मरण तो है नहीं, परन्तु इतना अवश्य याद आता है कि स्वामी जी ने अपनी स्वाभ वि के ओजस्विनी व्यक्ति द्वारा था।

लेखकनंदकुमार देव शर्मा-Nandkumar Dev Sharma
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ118
Pdf साइज़13.2 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

स्वामी रामतीर्थ – Swami Ramtirth Book/Pustak Pdf Free Download

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