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सम्पूर्ण चिकित्सा – Sampurn Chikitsa PDF Free Download
सम्पूर्ण चिकित्सा राजीव दीक्षित
का मतलब कंट्रोल नहीं, जड़ से ठीक हो जाते हैं। आपको करना बस इतना है कि ताजे गोमूत्र को कपड़े से छानकर आँखों में डालना हैं।
बाल झड़ते हों तो ताम्बे के बर्तन में गाय के दूध से दही को 5-6 दिन के लिए रख दें। जब इसका रंग बदल जाए तो इसे सिर पर लगा कर 1 घंटे तक रखें ऐसा सप्ताह में 4 बार कर सकते हैं।
कई लोगों को तो एक ही बार से लाभ हो जाता हैं। गाय के मूत्र में पानी मिलाकर बाल धोने से गजब की कंडशनिंग होती हैं।
छोटे बच्चों को बहुत जल्दी सर्दी जुकाम हो जाता है। 1 चम्मच गो मूत्र पिला दीजिए सारी बलगम साफ हो जाएगी।
- किडनी तथा मूत्र से संबन्धित कोई समस्या हो जैसे पेशाब रुक कर आना, लाल आना आदि तो आधा कप (50 मिली) गोमूत्र सुबह सुबह खाली पेट पी लें। इसको दो बार पीए यानी पहले आधा पीए फिर कुछ मिनट बाद बाकी पी लें। कुछ ही दिनों में लाभ का अनुभव होगा।
- बहुत कब्ज हो तो कुछ दिन तक आधा कप गोमूत्र पीने से कब्ज खत्म हो जाती हैं ।
गोमूत्र की मालिश से त्वचा पर सफेद धब्बे और डार्कसर्कल कुछ ही दिनों में खत्म हो जाते हैं । गोमूत्र को सुबह खाली पेट पीना सर्वोत्तम होता हैं।
जो लोग बहुत बीमार हैं, उन्हें 100 मिली से अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। यह TEA CUP का आधे से अधिक भाग होता है। इसे कुछ मिनट का अंतराल देकर दो किश्तों में पीना चाहिए।
निरोगी व्यक्ति को 50 मिली से अधिक नहीं पीना चाहिए। गोमूत्र केवल उन्हीं गौमाता का पीएं जो चलती हों क्योंकि उन्हीं का मूत्र उपयोगी होता हैं बैठी हुई गोमाता का मूत्र किसी काम का नहीं होता ।
जैसे – जर्सी गाय कभी नहीं घूमती और उसके मूत्र में केवल 3 ही पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं देसी गाय के मूत्र में 18 पोषक तत्व पाये जाते हैं।
इस अष्टांग ह्रदयम् शास्त्र में लगभग 7000 श्लोक दिये गये हैं । ये श्लोक मनुष्य जीवन को पूरी तरह निरोगी बनाने के लिए हैं । प्रस्तुत पुस्तक में कुछ श्लोक , हिन्दी अनुवाद के साथ दिये जा रहे हैं ।
इन श्लोंकों का सामान्य जीवन में अधिक से अधिक उपयोग हो सके इसके लिए विश्लेषण भी सरल भाषा में देने की कोशिश की गयी हैं ।
भारत की जनसंख्या 127 करोड़ है व इनमें से 85 % लोग शारीरिक / मानसिक रूप से बीमार हैं अर्थात् लगभग 105 करोड़ लोग बीमार हैं । 29 नंवबर 2011 की भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में डॉक्टरों और लोगों की संख्या का अनुपात 1: 2000 हैं डॉक्टरों और बीमारों की संख्या का अनुपात 1:1600 हैं ।
एक दिन में एक डॉक्टर अधिक से अधिक 50 लोगों का इलाज कर सकता हैं अतः जब तक, भारत के सभी डॉक्टर एक दिन में 1600 रोगियों का इलाज ना करें तब तक भारत के हर रोगी को चिकित्सा उपलब्ध कराना संभव ही नहीं व अर्जुन सेन गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लगभग 80 % लोगों की एक दिन की आय 20 रूपये हैं , इतनी सीमित व टुचपूंजी आय से किसी भी अच्छे सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में भारत के इन 80 % गरीब लोगों के लिए उपचार कराना असंभव ही हैं ।
राजीव भाई को इस तथ्य का एहसास हो चुका था कि जब तक भारत का हर व्यक्ति अपनी बीमारी स्वयं ठीक ना करे तब तक भारत में रोगियों की संख्या घटेगी नही ।
इस संदर्भ में राजीव भाई ने सन् 2007 में चेन्नई में चिकित्सा पर सात दिन का व्याख्यान दिया, इस व्याख्यान का उद्देश्य था कि हर व्यक्ति बिना डॉक्टर के व बिना एलोपैथिक ,होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक औषधियों के अपनी बीमारी को स्वयं ठीक कर सकें ।
इस पद्धति को स्वदेशी चिकित्सा की संज्ञा दी जिसके अंतगर्त राजीव भाई ने ऐसा विकल्प दिया जो सस्ता हैं एवं बीमारियों को स्थायी रूप से बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करता |
लेखक | राजीव दीक्षित – Rajiv Dixit |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 115 |
PDF साइज़ | 2 MB |
Category | आयुर्वेद(Ayurveda) |
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