रेकी विद्या – Recki Vidya Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
‘रेकी’ की उशुई पद्धति मात्र सरल तथा प्राकृतिक चिकित्सा ही नहीं है अपितु यह सार्वभौमिक जीवन ऊर्जा को अंतरित करने का सर्वाधिक प्रभावशाली तरीका भी है।
जब किसी व्यक्ति का इस ऊर्जा से तालमेल किया जाता है तब वह जीवन भर के लिए ‘रेकी’ का माध्यम बन जाता है ।
हम आगे अधिकांशत: इस सार्वभौमिक जीवन ऊर्जा पर ही चर्चा करेंगे, जो ‘रेकी’ कक्षाओं का आधार है। मनुष्य के शरीर में लगभग एक खरब कोशिकाएँ हैं।
इनमें एक लाख विभिन्न जींस होते हैं। इनमें दीर्घाकार (लंबी), चक्राकार डी एन ए की श्रृंखलाएँ होती हैं।
प्रत्येक सूक्ष्मदर्शी लघु कोशिका के भीतर हमारे शरीर की कुल आनुवंशिकी संरचना के प्लान होते हैं।
यदि हम इन चक्राकार शृंखलाओं को खोलकर जोड़ें तो इनकी लंबाई लगभग बारह हजार करोड़ कि.मी. से भी अधिक होगी। यह लंबाई पृथ्वी और सूर्य के बीच विद्यमान दूरी से आठ सौ गुना है।
तब भी, आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि डी एन ए अणुओं की ये शृंखलाएँ मात्र अखरोट जितने आकार में सिमट जाती हैं।
अब हम जीवन के समस्त रूपों में व्यक्त इ ऊर्जा की व्यापकता पर विचार करते हैं। रूप, आकृति प्रदायिनी यह प्रज्ञा शक्ति कितनी महान् है! हमारे मस्तिष्क में अनेक प्रश्न उठते हैं।
क्या भौतिकवादी दृष्टिकोण के समान हमारा जीवन और ब्रह्मांड मात्र संयोगों की कड़ी का परिणाम है? क्या जड़ पदार्थ से चेतन पदार्थ उत्पन्न हो सकता है? क्या इसमें आत्मा का वास हो सकता है? आत्मा? यहाँ तक कि वैज्ञानिक भी इन प्रश्नों के जाल में उलझे हुए हैं।
इस प्रकार अंत में यही परिणाम निकलता है कि किसी परम प्रज्ञा शक्ति का अस्तित्व है। एक ऐसी सर्वव्यापी आत्मा है जो निरंतर स्वयं में से इस ब्रह्मांड सृष्टि का सृजन करत
लेखक | मोहन मक्कड़-Mohan Makkad |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 224 |
Pdf साइज़ | 8.1 MB |
Category | Health |
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