भक्त चरितांक | Bhakt Charitank
भक्त चरितांक | Bhakt Charitank Book/Pustak Pdf Free Download पुस्तक का एक मशीनी अंश उन्होंने कहा-हम तुम्हारी सेवासे ही संतुष्ट हैं, मुझे और कुछ भी दक्षिणा नहीं चाहिये ।’ गुरुजीके यो कहनेपर भी मैं बार-बार उनसे गुरुदक्षिणाके लिये आग्रह करता ही रहा । तत्र अन्तमे उन्होने झल्लाकर कहा-अच्छा तो चौदह लाख सुवर्णमुद्रा लाकर हमे दो …