नमाज की किताब हिंदी में | Namaz Book PDF In Hindi

महिला नमाज़ ए नबावी – Namaz E Nabvi Book PDF Free Download

बच्चो को नमाज़ सिखाने का तरीका

*”अपने बच्चों को नमाज पढ़ने का हव हुका है जब वे मात साल के हो जाएं और जब वे दस वर्ष के हो तो उन्हें नमाज़ छोड़ने पर मारो और उनके विस्तर अलग कर दो।”

इस हदीस में रसुतुल्लाह सलों के मां बाप को इरशाद फरमा रहे हैं कि वे अपनी सन्तान को सात वर्ष की उम्र में ही नमाज़ की तालीम देकर नमाज़ का जादी बनाने की कोशिश करें

अगर दस वर्ष के होकर नमाज़ नपढ़ें तो मां बाप मारें और उन्हें सजा देकर नमाज का पावन्द बनाएं और दस वर्ष की उम्र का जमाना कि व्यस्क के करीब है इसलिए उन्हें इकट्ठा न सोने दें।

नमाज़ छोड़ना, कुछ का एलान है

हजरत जाविरजि० रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्त ने फ़रमाया: ईमान और कफ के बीच फर्क नमाज का छोड़ देना है।” इसका मतलब का है कि इस्लाम और कुछ के बीच नमाज दीवार की तरह नौजूद है।

दूसरे शब्दों में नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुरु तक पानाचामल है। हज़रत बुरीदा रजि० रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया: “हमारे और मुनाफ़िक़ों के बीच सन्धि नमाज़ है जिसने नमाज़ छोड़ दी तो उसने कुफ किया।”

इस हदीस का मतलब यह है कि कपटियों को जो अम्न है, वह क़त्ल नहीं किए जाते और उनके साथ मुसलमानों जैसा सुलूक रखा जाता है

तो उसकी वजह यह है कि वे नमाज़ पढ़ते थिमाज पढ़ते हैं और उनका नमाज़ पढ़ना मानो मुसलमानों के बीच एक सन्धि है जिसके कारण कपटियों की जान और उनका माल मुसलमानों की तलवार और हमले से महफ़ूज़ है

जिसने नमाज़ छोड़ी तो उसने अपने कुफ को स्पष्ट कर दिया। मुसलमान भाइयो! सोच विचार करो कितना ख़ौफ़ का मक़ाम है कि नमाज़ छोड़ना कुफ का एलान है।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन शक्क्रीक रह० रिवायत करते हैं: “सहावा किराम रज़ि० कर्मों में से किसी चीज़ के छोड़ने को कुफ नहीं समझते थे सिवाए नमाज के तदरदा रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ल० फ़रमाते हैं

“जो व्यक्ति नमाज़ छोड़ दे तो निश्चय ही उस (की बाबत अल्लाह का माफ़ करने) का ज़िम्मा ख़त्म हो गया हज़रत इब्ने उमर रजि० रिवायत करते हैं

रसूलुल्लाह सल्ल० ने हज़रत अबूरजि० से फ़रमाया : “जिस व्यक्ति की नमाने अस्र छूट जाए तो मानो उसका घर और माल लूट लिया गया।

हज़रत बुरीदा रज़ि2 कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया: ‘“जिस व्यक्ति ने नमाज अत्र छोड़ दी तो उसके कर्म बातिल हो गए।

1. नमाज़ की शर्ते

नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है।

  • बदन का पाक होना
  • कपड़ो का पाक होना
  • नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
  • बदन के सतर का छुपा हुआ होना
  • नमाज़ का वक्त होना
  • किबले की तरफ मुह होना
  • नमाज़ की नियत यानि इरादा करना

ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।

१. बदन का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।

२. कपड़ो का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

३. औरत नमाज़ पढने की जगह का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगहधो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

४. बदन के सतर का छुपा हुआ होना

– नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.

५. नमाज़ का वक्त होना

– कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।

६. किबले की तरफ मुह होना

– नमाज़ क़िबला रुख होकर पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे।

७. नमाज़ की नियत यानि इरादा करना

– नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए।

2. वजू का तरीका

नमाज़ के लिए वजू शर्त है। वजू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वजू का तरीका यह है की आप नमाज़ की लिए वजू का इरादा करे। और वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वजू करे।

  • कलाहियों तक हाथ धोंये
  • कुल्ली करे
  • नाक में पानी चढ़ाये
  • चेहरा धोंये
  • दाढ़ी में खिलाल करें
  • दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये
  • एक बार सर का और कानों का मसाह करें
    (मसह का तरीका यह है की आप अपने हाथों को गिला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें। कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करे।)
  • दोनों पांव टखनों तक धोंये।

यह वजू का तरीका है। इस तरीके से वजू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।

3. गुस्ल का तरीका

अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है। ऐसी हालत में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता, गुस्ल का तरीका कुछ इस तरह है।

  • दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये
  • शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये
  • ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं
  • कुल्ली कीजिये
  • नाक में पानी डालिए
  • और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए
  • सर धो लीजिये
  • हाथ पांव धो लीजिये।

यह गुस्ल का तरीका है। याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा ३ ही बार धोया जा सकता है।

क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है।

बिगैर ज़बान हिलाए दिल में इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं पाकी हासिल करने के लिये गुस्ल करता हूं।

पहले दोनों हाथ पहुंचों तक तीन तीन बार धोइये, इस्तिन्जे की जगह धोइये ख़्वाह नजासत हो या न हो, फिर जिस्म पर अगर कहीं नजासत हो तो उस को दूर कीजिये फिर नमाज़ का सा वुज़ू कीजिये मगर पाउं न धोइये, हां अगर चौकी वगैरा पर गुस्ल कर रहे हैं तो पाउं भी धो लीजिये फिर बदन पर तेल की तरह पानी

चुपड़ लीजिये, खुसूसन सर्दियों में, (इस दौरान साबुन भी लगा सकते हैं) फिर तीन बार सीधे कन्धे पर पानी बहाइये,

फिर तीन बार उल्टे कन्धे पर, फिर सर पर और तमाम बदन पर तीन बार फिर गुस्ल की जगह से अलग हो जाइये, अगर वुज़ू करने में पाउं नहीं धोए थे तो अब धो लीजिये नहाने में क़िब्ला रुख न हों, तमाम बदन पर हाथ फैर कर मल कर नहाइये ।

ऐसी जगह नहाएं कि किसी की नज़र न पड़े अगर येह मुम्किन न हो तो मर्द अपना सित्र (नाफ़ से ले कर दोनों गुठनों समेत) किसी मोटे कपड़े से छुपा ले, मोटा कपड़ा न हो तो हस्बे ज़रूरत दो या तीन कपड़े लपेट ले क्यूं कि बारीक कपड़ा होगा तो पानी से बदन पर चिपक जाएगा और घुटनों या रानों वगैरा की रंगत जाहिर होगी।

4. नियत का तरीका

नमाज़ की नियत का तरीका यह है की बस दिल में नमाज़ पढने का इरादा करे। आपका इरादा ही नमाज़ की नियत है। इस इरादे को खास किसी अल्फाज़ से बयान करना, जबान से पढना ज़रूरी नहीं। नियत के बारे में तफ्सीली जानकारी के लिए नीचे लिंक पे क्लिक करे।

5. तयम्मुम का तरीक़ा

“तयम्मुम” की निय्यत कीजिये (निय्यत दिल के यूं कहिये : बे वुज़ूई या बे गुस्ली या दोनों से पाकी हासिल इरादे का नाम है, ज़बान से भी कह लें तो बेहतर है।

मसलन करने और नमाज़ जाइज़ होने के लिये तयम्मुम करता हूं) “बिस्मिल्लाह” पढ़ कर दोनों हाथों की उंग्लियां कुशादा कर के किसी ऐसी पाक चीज़ पर जो ज़मीन की क़िस्म (म-सलन पथ्थर, चूना, ईंट, दीवार, मिट्टी वगैरा) से हो मार कर लौट लीजिये (यानी आगे बढ़ाइये और पीछे लाइये) ।

और अगर ज़ियादा गर्द लग जाए तो झाड़ लीजिये और उस से सारे मुंह का इस तरह मस्ह् कीजिये कि कोई हिस्सा रह न जाए अगर बाल बराबर भी कोई जगह रह गई तो तयम्मुम न होगा।

फिर दूसरी बार इसी तरह हाथ ज़मीन पर मार कर दोनों हाथों का नाखुनों से ले कर कोहनियों समेत मस्ह कीजिये, इस का बेहतर तरीका येह है कि उल्टे हाथ के अंगूठे के इलावा चार उंग्लियों का पेट सीधे हाथ की पुश्त पर रखिये और इंग्लियों के सिरों से कोहनियों तक ले जाइये और फिर वहां से उल्टे ही हाथ की हथेली से सीधे हाथ के पेट को

लेखक सहीह अहदीस-Sahih Ahadis
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 294
PDF साइज़110.1 MB
CategoryReligious

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