मेघदूत: कालिदास | Meghdoot PDF In Hindi

हिंदू मेघदूत विमर्ष – Meghdoot Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

तरह पूरित कर दिया है कि याचक-पृन्द के पास पास इस रस का पातापरण व्यामाविक आदी उपस्थित हो जाता है ।

सच तो यह है कि शृङ्गार और करुण रस के मुख्य करि कालिदास और भवभूति के मध्य में थीर-रस के मुख्य-कयि का स्थान शून्य मालूम हो रहा था

मो अय भास के नाटकों के प्रसिद्ध होने पर बिदित हुआ कि उस स्थान की पूर्ती तो भासने इनके पहिले हो कर रफ्ग्यो यो। ग्टक्षार रस के पर्णन में कालिदास पी सर्वोत्कृष्टता दिखाने के लिये उदाहरण रूप में मास के नाटकों के साथ

यदि उनके नाटकों की तुलना की जाय ता भास के वीर रस प्रधान नाटकों को छोडकर, शङ्गार- रस प्रधान नाटर स्वमयासयदृत्ता श्रर अविमारक के साथ हो की जा सकती है

इन देानो-स्भवासयदृच्ा भोर अवि- मारक का कालिदास के मालविकाग्निमित्र चिक्रमार्वशोय और शाकुन्तल इन शुहार रस के तीनां नाटकों में भाषा, विचार, प्रसङ्ग योर शज्दो की रचना में भी विशेषतया ऐक्य देया जाता है ।

स्थम थासयदत्ता केप्रथमा इ में योगन्धरायण पासवद् त्ता को लेकर तपोधन में आता है,

उस मसङ की शा्ुन्तन्द में सम्पूर्ण डायन मिलती है उसमें जैसा पाचन वर्णन है यसा ही शान्त, पवित्र थर मूग प्रादि विभ्यस्त और निशङ्क जोग वाला तपोवन शाकुन्तल में अद्वित है।

स्यम्थासवदत्ता में यागन्धरायण ने पद्मागती को वासव दत्ता दी है, मालविकाग्निमित्र में राणी धारिखी को मालविका दी गई है।

वासवदत्ता वीणा बजाना सीखती है, मालविका भी सहीत सौखती है यासयदत्ता को राजा चित्र में देखकर उस पर अनुरक होता है, मालविका का भी चित्र तथा नृत्य देणफर राजा का उसपर अनुरागोन्पन्न होने का उल्लेख है

इस प्रकार स्वम योसघदत्ता फे यहुत से प्रसङ्ग कुछ प्रकारान्तर से-और भी सुन्दर स्वरूप में फालिदास ने मालविकाग्निमित्र में मङ्कित किये हैं।

मानो वासवदत्ता के पस्तु फलेयर को परिवर्तन करके अधिक रस-प्रद रीति से कालिदास ने माताविफाग्निमित्र में संघटित किया हो, पेसा भास होता है।

लेखक महाकवि कालिदास-Mahakavi Kalidas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 406
Pdf साइज़5.1 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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